लखनऊ:
लोकसभा में आज वक्फ संशोधन बिल पेश हुआ। इस पर चर्चा चल रही है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मौके पर कहा- ‘भाजपा की सरकार में एक और बिल आया है। जो पूर्व में जो साथी बोले हैं, उनकी बहुत सी बातों से मैं सहमत हूं। मैं देख रहा हूं जो एक्स कांग्रेस वाले हैं, वो ज्यादा बोल रहे हैं। अध्यक्ष महोदय आज जो बिल पेश हुआ है, मैं हिंदी और अंग्रेजी जो समझ सकता हूं वह ही कह सकता हूं। माननीय मंत्री जी ने कहा है कि ये उम्मीद है। मुझे हिंदी और अंग्रेजी दोनों में समझ में नहीं आ रहा है कि ये कैसे उम्मीद है।’
अखिलेश ने हंसते हुए कहा- ‘अध्यक्ष महोदय अभी माननीय सदस्य लोग कह रहे थे कि हमारे सदस्य नहीं हैं। ये जो बिल लाया जा रहा है, भाजपा के अंदर एक मुकाबला चल रहा है कि कौन सबसे बड़ा हिंदू है।’
जब अखिलेश को अमित शाह ने दिया जवाब
अखिलेश यादव ने भाजपा को सुनाते हुए कहा- ‘जो पार्टी ये कहती हो कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी हो, वो अभी तक अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं चुन पाए। भाजपा क्या है?’ इतना कहकर अखिलेश हंसने लगे। इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उठे और बोले- ‘अखिलेश जी ने हंसते-हंसते कहा है। मैं हंसते हुए ही जवाब देता हूं। सामने जो पार्टियां हैं। यहां अध्यक्ष पांच-छह लोगों को ही चुनना होता है। हमारे यहां करोड़ों सदस्य अध्यक्ष चुनते हैं। आप 20 साल के लिए अध्यक्ष बन जाओ।’
‘नाकामियों का पर्दा इस बार वक्फ बिल बना है’
वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा करते हुए अखिलेश यादव ने नोटबंदी का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा- ‘मैं उत्तर प्रदेश में था। एक बहुत तैयारी के साथ ये फैसला लेकर आए थे। आधी रात के बाद नोटबंदी की थी। उस नोटबंदी की नाकामी पर भी चर्चा हो जाए। अभी भी कितना रुपया निकल रहा है। नाकामी महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की आय दोगुनी नहीं कर पाए उनकी भी है। गंगा यमुना साफ हो गई? स्मार्ट सिटी बन गई? गोद लिए गांव क्या गोद से उतार दिए? मैं कहता हूं नाकामियों का पर्दा इस बार वक्फ बिल बना है। जिसके लिए बिल बना है, उसकी बात को कहने न देना भी नाइंसाफी है।’
‘भाजपा पिछले दरवाजे से ये जमीनें अपने लोगों को देना चाहती है’
अखिलेश ने कहा- ‘क्या डिफेंस, रेलवे की जमीन नहीं बेची जा रही है। वक्फ भी भारत का है इसलिए कहीं न कहीं वक्फ की जमीन से बड़ा मुद्दा वो जमीन है, जिस पर चीन ने अपने गांव बसा लिए। लेकिन कोई बात न करे इसलिए ये बिल ला रहे हैं। वक्फ बिल सियासी हठ है, सांप्रदायिक राजनीति का नया रूप है। भाजपा बिल से अपने समर्थकों का तुष्टीकरण करना चाहती है जो बेरोजगारी और महंगाई से उससे छिटक गए हैं। भाजपा की नजर वक्फ की जमीनों पर है। वह पिछले दरवाजे से ये जमीनें अपने लोगों को देना चाहती है। भाजपा का लक्ष्य ही ये है कि ध्रुवीकरण हो। वो जानते हें इसका लाभ उठाने में वो आगे रहेंगे।’