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Monday, July 14, 2025
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पर्दे के पीछे खेल का डर… रूस-ईरान के रणनीतिक समझौते से टेंशन में इजरायल और अमेरिका, सता रही बड़ी चिंता

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तेहरान

रूस और ईरान एक बड़ी रणनीतिक साझेदारी करने जा रहे हैं। यह समझौता 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने से ठीक पहले होने वाला है। इससे इजरायल और अमेरिका को चिंता है कि ये समझौता ईरान को परमाणु हथियार बनाने में मददगार हो सकता है। ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान 17 जनवरी को मॉस्को जाएंगे। इस दौरान वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ इस अहम समझौते पर दस्तखत करेंगे, जो रूस और ईरान के बीच बेहतर होते संबंधों में नई कड़ी है।

इजराययली वेबसाइट वायनेट की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस में ईरानी दूतावास ने अपने राष्ट्रपति की मॉस्को यात्रा की पुष्टि की है। रविवार को रशिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने समझौते की जानकारी दी है। उन्होंने कहा, ‘यह समझौता क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर शांति और सुरक्षा के लिए सहयोग को मजबूत करने के लिए है। समझौते पर हस्ताक्षर होने से विभिन्न क्षेत्रों में रूसी-ईरानी साझेदारी को आगे बढ़ाने के अतिरिक्त अवसर खुलेंगे।

दोनों देशों में बढ़ रहा है सैन्य सहयोग
रूस और ईरान में सैन्य सहयोग लगातार बढ़ रहा है। ईरान पहले ही रूस को छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें दे रहा है। ईरान ने ड्रोन भी रूस को दिए हैं। नए समझौते में उम्मीद की जा रही है कि इसमें तेहरान से मॉस्को को ड्रोन का एक उन्नत मॉडल मिलेगा। इसके बदले में ईरान को रूस से उन्नत सुखोई लड़ाकू विमान मिलने की उम्मीद है

इस समझौते को लेकर इजरायल के लिए सबसे चिंताजनक बात ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाएं हैं। इजरायल को डर है कि समझौते में ईरान को रूस से परमाणु कार्यक्रम में मदद मिल सकती है। इजरायल को लगता है कि ये पर्दे के पीछे होगा और इसकी सार्वजनिक घोषणा नहीं की जाएगी। इससे ईरान परमाणु क्षमता हासिल करने के करीब पहुंच जाएगा, जो इजरायल की चिंता बढ़ाएगा।

ईरान अगर रूस से परमाणु कार्यक्रम में मदद हासिल करता है तो इससे इजरायल के साथ-साथ अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप भी परेशान होंगे। डोनाल्ड ट्रंप बार-बार ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर चिंता जता चुके हैं। ट्रंप और उनके नजदीकी सत्ता में वापसी के बाद ईरान पर सख्त रुख अपनाने का संकेत भी समय-समय पर देते रहे हैं।

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