नई दिल्ली:
भारत की साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने सात ऐसे APT ग्रुपों की पहचान की है, जो लगातार साइबर हमले कर रहे हैं। इन ग्रुपों ने 15 लाख से ज्यादा साइबर अटैक किए। ये हमले खासकर देश की जरूरी वेबसाइटों और इन्फ्रास्ट्रचर को निशाना बना रहे थे। ये हमले पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद और तेज हो गए थे। अधिकारियों ने यह भी बताया कि कुछपाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव (PIO) भारत में पत्रकारों और रक्षा कर्मियों के मोबाइल फोन को निशाना बना रहे थे।
कैसे किए गए साइबर अटैक
अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव्स ‘डांस ऑफ हिलेरी’ और ‘कॉल्स फ्रॉम मिलिट्री’ नाम के मालवेयर (malware) के जरिए फोन में वायरस भेज रहे थे। मालवेयर एक तरह का खतरनाक सॉफ्टवेयर होता है, जो आपके कंप्यूटर या फोन को नुकसान पहुंचा सकता है। अधिकारियों के अनुसार, 15 लाख साइबर अटैक में से केवल 150 हमले ही सफल हो पाए। ये हमले पाकिस्तान, बांग्लादेश और मध्य पूर्व के देशों से किए गए थे।
भारतीय एजेंसियां रहीं अलर्ट
एक बड़े अधिकारी ने कहा कि हमारी जांच में पता चला है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बॉर्डर पर गोलीबारी रोकने के समझौते के बाद केंद्र सरकार की वेबसाइटों पर साइबर हमले कम हुए हैं। हालांकि, ये पूरी तरह से बंद नहीं हुए हैं। ये हमले अभी भी पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मोरक्को और मध्य पूर्व के देशों से जारी हैं।
अधिकारियों ने दिए खास निर्देश
अधिकारियों ने हमलों के बारे में और जानकारी देते हुए बताया कि हमलावर ‘डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस (DDoS) अटैक्स’ और ‘GPS स्पूफिंग’ जैसे मालवेयर कैंपेन का इस्तेमाल कर रहे थे। DDoS अटैक एक ऐसा हमला है, जिसमें एक साथ बहुत सारे कंप्यूटर एक ही वेबसाइट पर रिक्वेस्ट भेजते हैं, जिससे वेबसाइट क्रैश हो जाती है। GPS स्पूफिंग में हमलावर GPS सिग्नल को बदलकर आपको गलत लोकेशन दिखाते हैं।
हैकर्स पर एक्शन को लेकर उठाए गए कदम
अधिकारियों ने यह भी बताया कि कुछ भारतीय वेबसाइटों को हैक करके उनकी सामग्री को भी बदल दिया गया था। लेकिन, ज्यादातर हमलों को नाकाम कर दिया गया और देश के जरूरी ढांचों को बचा लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि इन हमलों से निपटने के लिए साइबर सुरक्षा एजेंसियां लगातार काम कर रही हैं। वे नए-नए तरीकों से हमलों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।