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कमला नेहरू ट्रस्ट को भूमि आवंटन रद्द करना उचित, सुप्रीम कोर्ट ने UPSIDC के फैसले को बताया सही

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सुल्तानपुर

सुप्रीम कोर्ट का उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में जमीन आवंटन को रद्द किए जाने के केस में बड़ा फैसला आया है। शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की परदादी कमला नेहरू के नाम पर बने ट्रस्ट के जमीन आवंटन रद्द किए जाने के मामले में फैसला आया। दरअसल, कमला नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट (KNMT) को सुल्तानपुर में 125 एकड़ भूमि का आवंटन कर दिया गया था। इस आवंटन को उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (UPSIDC) ने रद्द कर दिया। अब सुप्रीम कोर्ट ने निगम के फैसले की पुष्टि कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जनता को होने वाले लाभों का मूल्यांकन किए बिना औद्योगिक भूमि का एक बड़ा हिस्सा आवंटित किया गया था।

ट्रस्ट की अपील खारिज
केएनएमटी की अपील को खारिज करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि यह भूमि 2003 में आवंटित की गई थी, लेकिन ट्रस्ट भूमि की कीमत का समय पर भुगतान करने में विफल रहा। ट्रस्ट ब्याज की माफी और बकाया राशि के पुनर्निर्धारण सहित अनुचित रियायतें मांगता रहा। इसने जगदीशपुर पेपर मिल्स को उसी भूमि का बाद में किया गया आवंटन भी रद्द कर दिया।

केएनएमटी पुराना डिफॉल्टर
केएनएमटी को एक पुराना डिफॉल्टर बताते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि यूपीएसआईडीसी की ओर से केएनएमटी को डिफॉल्टर मानना उचित था। आवंटन प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक भी था। इस तरह की जानबूझकर की गई चूक को अनियंत्रित रूप से जारी रहने देना भूमि आवंटन के पूरे ढांचे को कमजोर करेगा। यह एक हानिकारक और गलत मिसाल कायम करेगा।

सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत का पालन नहीं
जस्टिस सूर्यकांत ने निर्णय लिखते हुए यूपीएसआईडीसी को भूमि आवंटन में सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत का पालन न करने के लिए दोषी ठहराया। पीठ ने कहा कि हमने केएनएमटी की चूक के कारण रद्दीकरण को बरकरार रखा है, परिस्थितियां मूल आवंटन प्रक्रिया में प्रणालीगत चिंताओं को प्रकट करती हैं। यूपीएसआईडीसी ने आवेदन के केवल दो महीने (2003 में) के भीतर केएनएमटी को भूमि आवंटित की, जिससे मूल्यांकन की गहनता पर सवाल उठे।

पीठ ने कहा कि इसके अलावा इस विवाद के लंबित रहने के दौरान यूपीएसआईडीसी ने जगदीशपुर पेपर मिल्स लिमिटेड को वैकल्पिक आवंटन पर विचार करने में उल्लेखनीय तत्परता दिखाई। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सार्वजनिक ट्रस्ट सिद्धांत के अनुसार आवंटन से पहले सार्वजनिक लाभ, लाभार्थी की साख और सुरक्षा उपायों का गहन मूल्यांकन किया जाना चाहिए, ताकि घोषित उद्देश्यों का निरंतर अनुपालन सुनिश्चित हो सके।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि केएनएमटी या पेपर मिल को भूमि आवंटित करते समय इनमें से किसी का भी पालन नहीं किया गया। इसलिए, पेपर मिल के आवंटन को रद्द कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपीएसआईडीसी को यह प्रदर्शित करने के लिए आर्थिक लाभ, रोजगार सृजन क्षमता, पर्यावरणीय स्थिरता और क्षेत्रीय विकास उद्देश्यों के साथ संरेखण के सत्यापन योग्य साक्ष्य पर विचार करना चाहिए था कि निर्णय सामूहिक लाभ प्रदान करता है।

पारदर्शी तंत्र अपनाने में विफल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पारदर्शी तंत्र अपनाने में विफलता ने न केवल सार्वजनिक खजाने को संभावित राजस्व से वंचित किया, जैसा कि भूमि के इतने बड़े हिस्से के मूल्य में पर्याप्त वृद्धि से स्पष्ट है। साथ ही, एक ऐसी प्रणाली भी बनाई गई है जहां विशेषाधिकार प्राप्त पहुंच समान अवसर को पीछे छोड़ देती है। यह राज्य और उसके नागरिकों के बीच भरोसेमंद संबंध को धोखा देता है।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और यूपीएसआईडीसी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि भविष्य में सभी भूमि आवंटन पारदर्शी, गैर-भेदभावपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से किए जाएं। कोर्ट ने व्यापक सार्वजनिक हितों- औद्योगिक विकास, पर्यावरणीय स्थिरता और क्षेत्रीय आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करते हुए अधिकतम राजस्व प्राप्त करने पर जोर दिया।

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