जयपुर
राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हल्दीघाटी युद्ध से जुड़े एक ऐतिहासिक शिलालेख को लेकर बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि पहले शिलालेख में यह उल्लेख था कि महाराणा प्रताप हल्दीघाटी का युद्ध हार गए थे और अकबर विजयी हुआ था। दीया कुमारी ने कहा कि उन्होंने इस ऐतिहासिक गलती को 2021 में ठीक करवाया और अब शिलालेख में दर्ज है कि महाराणा प्रताप विजेता थे।
ऐतिहासिक भूल को ठीक करने का संकल्प
दीया कुमारी ने बताया कि जब वे सांसद थीं, तब उन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया और दिल्ली तक प्रयास किए। तत्कालीन संस्कृति मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के सहयोग से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीन इस शिलालेख में संशोधन संभव हो सका। उन्होंने इसे अपने राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक बताया।
अब सच्चाई बताने का समय आ गया है: दीया कुमारी
कार्यक्रम में बोलते हुए दीया कुमारी ने कहा, ‘लोग बहुत सी उल्टी-सीधी बातें करते हैं, लेकिन अब सच को सामने लाने का समय आ चुका है।’ उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास को सही रूप में प्रस्तुत करना अत्यंत आवश्यक है और इस दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
हल्दीघाटी का युद्ध: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
हल्दीघाटी का युद्ध 1576 में महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर की सेनाओं के बीच लड़ा गया था। इतिहासकार इस युद्ध को निर्णायक नहीं मानते, लेकिन इसके परिणामों को लेकर वर्षों से भ्रम की स्थिति बनी रही है। कुछ इतिहासकार के अनुसार, हल्दीघाटी की लड़ाई 21 जून, 1576 को हुई थी। अकबर की मुगल फौज का नेतृत्व राजा मान सिंह कर रहे थे। वहीं राणा प्रताप के साथ हकीम खान सूर लड़ रहे थे। शुरू में ऐसा लग रहा था कि महाराणा प्रताप की सेना मुगलों की सेना पर भारी पड़ रहे हैं, लेकिन अकबर के युद्ध में शामिल होने की अफवाह से राजपूतों का मनोबल टूट गया। इसके बाद महाराणा प्रताप की सेना पीछे हठ गई। वहीं कुछ इतिहासकार कहते हैं कि अकबर को हल्दीघाटी में स्पष्ट विजय नहीं मिली थी। अगर विजय मिली होती तो अकबर अपने सेनापति राजा मानसिंह, आसफ खां और काजी खां की अपने दरबार में एंट्री बंद नहीं करता।