श्रीनगर:
पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई। मगर कई ऐसे लोग भी रहे, जो किस्मत से बाल-बाल बचे। कर्नाटक के बेंगलुरु की एक महिला को मौत छूकर निकल गई। गोली से उनके सिर का कुछ बाल कट गए, मगर उन्होंने धैर्य बनाए रखा। ऐसी मुश्किल हालत में भी उन्होंने अपने पति की हिम्मत बंधाती रहीं। उनका परिवार भी आतंकियों की गोलीबारी में बाल-बाल बचा। हमले के 7 दिन बाद उन्होंने पहलगाम हमले की कहानी बताई है।
बैसरन वैली में थी लोगों की भीड़
22 अप्रैल को पहलगाम बैसरन घाटी के पर्यटकों की भीड़ में बेंगलुरु की हेगड़े फैमिली भी मौजूद थी। प्रदीप हेगड़े, उनकी पत्नी शुभा हेगड़े और बेटा सिद्धांत 21 अप्रैल को श्रीनगर पहुंचे थे। अगले दिन वे पहलगाम में ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से मशहूर बैसरन घूमने गए थे। प्रदीप ने बताया कि उन्होंने तीन घोड़े किराए पर लिए थे। रास्ता बहुत खराब था। बारिश की वजह से सड़क कीचड़ भरी और फिसलन भरी थी। उन्हें ऊपर तक पहुंचने में एक घंटा 15 मिनट लगे।
चाय का इंतजार कर रहे था तभी…
प्रदीप ने बताया कि जब वह बैसरन घाटी पहुंचे, तो वहां बहुत भीड़ थी। जिपलाइन में एक खाली जगह थी, जहां उन्होंने वहां करीब एक घंटा बिताया और तस्वीरें लीं। करीब 1:45 बजे उन्होंने एडवंचर एक्टिविटी करने का मन बनाया, तभी उनके बेटे ने खाने की जिद की। प्रदीप ने उसे समझाने की कोशिश की, मगर वह मैगी खाने के लिए अड़ा रहा। प्रदीप सपरिवार फूड स्टॉल पर गए और मैगी खाई। प्रदीप ने बताया कि उन्होंने चाय का ऑर्डर दिया था, तभी उन्हें पहली गोली की आवाज सुनाई दी। उस समय उन्हें नहीं पता था कि गोलियां चल रही हैं। दुकान के मालिक ने भी उनसे कहा कि यह पटाखों की आवाज हो सकती है।
जान बचाने के लिए जमीन पर लेटे
लगभग 15-20 सेकंड बाद प्रदीप ने दो लोगों को बड़ी बंदूकों के साथ देखा। वे लगातार गोली मार रहे थे। एक आतंकवादी घाटी के निचले हिस्से की ओर गया, जबकि दूसरा उनकी ओर बढ़ा। प्रदीप, उनकी पत्नी शुभा और बेटा सिद्धांत बचने के लिए जमीन पर लेट गए। इस बीच शुभा हेगड़े की नजर अपने बैग पर पड़ी, जो उन्होंने टेबल पर रखा था। उस बैग में आइडी कार्ड और फोन था। जैसे ही शुभा बैग लेने के लिए उठी तो उसे लगा कि उसके दाहिने कान के पास से कुछ गुजरा है। यह आतंकी के रायफल से निकली एक गोली थी।
गोली बालों को छूकर निकल गई
शुभा ने मीडिया को बताया कि उस समय तो उन्हें कुछ नहीं पता चला। बाद में एहसास हुआ कि वह गोली थी जो उनके बालों को छूकर निकल गई। जब पीछे मुड़कर देखा तो गोली फर्श पर लगी थी। उस समय शुभा ने अपने पति और बेटे को नहीं बताया क्योंकि उन्हें डर था कि दोनों डर जाएंगे। इस बीच कोई घोड़ावाला चिल्लाया, आतंकी हमला हो गया है। उसने लोगों को गेट की ओर भागने के लिए कहा। प्रदीप हेगड़े ने बताया कि हमले के बाद गेट पर भगदड़ मच गई । हर कोई बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था।
बिना पीछे देखे 3 किमी तक दौड़ते रहे
उनका बेटा गिर गया, फिर भी किसी तरह हम बाहर आ गए और दो तीन किलोमीटर तक बिना पीछे देखे दौड़ते रहे। फिर उनकी नजर अपने घोड़े वाले पर पड़ी, जो एक पेड़ के पीछे छिपा था। प्रदीप ने उनसे मदद मांगी क्योंकि वह थक चुके थे। घोड़े वाले ने तीन घोड़े अरेंज किए और उन्हें सुरक्षित नीचे उतार दिया।