हिंदी मेरी मां, मराठी मौसी, कुछ लोग… कृपाशंकर सिंह का राज ठाकरे पर निशाना

मुंबई

महाराष्ट्र में इस साल कई नगर पालिकाओं और ग्राम पंचायतों के संभावित चुनावों से पहले मराठा राजनीति एक बार फिर जोर पकड़ रही है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे का हिंदी विरोधी बयान भी जारी है। इसी बीच बिना किसी का नाम लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह ने मराठी भाषा विवाद पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक कारणों से मराठी और गैर-मराठी के बीच खाई पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी मेरी मां और मराठी मौसी है।

सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने बृहन्नमुंबई नगरपालिका परिषद (बीएमसी) की सत्ता पर कब्जा जमाने के लिए रणनीतिक तैयारियां तेज कर दी हैं। इसी क्रम में भाजपा ने उत्तर भारतीय समुदाय को साधते हुए एक सौहार्दपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया। यह आयोजन उत्तर भारतीय संघ संस्था के जरिए किया गया।

मराठी भाषा से संबोधन की शुरुआत
महाराष्ट्र दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में उत्तर भारतीय समाज ने मराठी-गैर मराठी के बीच सामंजस्य और एकता का संदेश दिया। दिलचस्प बात यह रही कि कार्यक्रम की शुरुआत मराठी भाषा में संबोधन से हुई। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह ने कहा, ‘हिंदी माझी आई, मराठी माझी मावशी (हिंदी मेरी मां है, मराठी मेरी मौसी है)।’

कृपाशंकर सिंह ने राज ठाकरे को किया टारगेट
कृपाशंकर सिंह ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि कुछ लोग चुनाव आते ही मराठी और गैर-मराठी के बीच खाई पैदा करना चाहते हैं। जब उन्हें अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती नजर आती है तभी वे भाषा का सहारा लेते हैं।

राज ठाकरे ने क्या कहा
महाराष्ट्र में बीजेपी की महायुती सरकार ने प्राथमिक सरकारी स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का आदेश दिया था। लेकिन कड़े विरोध के बाद उस फैसले को वापस लेना पड़ा। राज ठाकरे ने एक बयान में कहा था, ‘हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं।’

बीएमसी चुनाव पर नजर
कृपाशंकर सिंह ने उत्तर भारतीय समाज को महाराष्ट्र के विकास का बराबर का भागीदार बताया और कहा कि यह समाज केवल श्रमिक नहीं, बल्कि राज्य के निर्माण में योगदान देने वाला समर्पित नागरिक वर्ग है। बीएमसी चुनाव से पहले मराठी बनाम गैर-मराठी भाषा विवाद के बीच इस आयोजन को राजनीतिक दृष्टि से भी अहम संकेत माना जा रहा है। भाजपा द्वारा सौहार्द का यह संदेश न केवल मतदाताओं को जोड़ने की कोशिश है, बल्कि मुंबई की विविधता को एकता में बदलने की रणनीति का हिस्सा भी।

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