पटना
बिहार में ‘पावर जोन’ का सबसे बड़ा मिडिल मैन रिशु श्री को लेकर गजब की खामोशी है। बिहार के निलंबित आईएएस अधिकारी संजीव हंस की मुश्किलें बढ़ रही हैं। इसके साथ ही, बताया जा रहा है कि दर्जनभर अफसर राडार पर हैं। मामले में एसवीयू ने निलंबित IAS संजीव हंस और उनके करीबियों पर एफआईआर दर्ज की है। रिशु श्री पर टेंडर में हेराफेरी करने का आरोप है। टेंडर प्राइस का 8 से 10 प्रतिशत कमीशन लेने की बात कही जा रही है, जिसका बड़ा हिस्सा ‘पावर जोन’ तक पहुंचता था। बताया जा रहा है कि रिशु श्री (रिशु रंजन सिन्हा) टेंडर में कुछ ऐसी शर्तें डलवाता था, जिससे ‘खास’ कंपनियों को फायदा होता था। इसके बदले में उसे कमीशन मिलता था। इस कमीशन का एक हिस्सा अधिकारियों को भी दिया जाता था।
रिशु श्री का 10 प्रतिशत कमीशन वाला गेम
दर्ज FIR में संजीव हंस और रिशु श्री के कारनामों का खुलासा किया गया है। रिशु श्री टेंडर में अपने फायदे के लिए कुछ ‘खास बातें’ शामिल करवाता थे, इससे उन्हें हेराफेरी करने में मदद मिलती थी। जब बिहार सरकार का कोई विभाग टेंडर निकालता था, तो रिशु श्री के संपर्क में रहने वाली कंपनियां आसानी से टेंडर हासिल कर लेती थी। रिशु श्री को अनुबंध (टेंडर) की कीमत का 8 से 10 प्रतिशत कमीशन मिलता था। इस कमीशन का एक बड़ा हिस्सा विभाग के बड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को दिया जाता था.
टेंडर लेने वाली कंपनी बन जाता सब कॉन्ट्रैक्टर
प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) की रिपोर्ट में गंभीर आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, रिशु श्री अपनी कंपनियों को टेंडर पाने वाली कंपनियों के लिए उप ठेकेदार (Sub Contractor) के तौर पर रखता था। फिर वे उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर बिल दिया जाता। इससे कमीशन और रिश्वत का पैसा बिजनेस के लेन-देन में छिप जाता था। बताया जा रहा है कि रिशु श्री सब कुछ ठीक दिखाने के लिए ऐसा करते थे, ताकि रिश्वत का पता न चले।
निलंबित IAS संजीव हंस की बढ़ गई मुश्किलें
दरअसल, संजीव हंस और रिशु श्री पर टेंडर में हेराफेरी करने और रिश्वत लेने का आरोप है। इस मामले में SVU ने FIR दर्ज की है और जांच चल रही है। प्रवर्तन निदेशालय भी इस मामले की जांच कर रहा है। इससे निलंबित IAS संजीव हंस की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।