भोपाल ।
रायसेन रोड सज्जन सिंह पटेल नगर स्थित एनआरआई संस्थान में लक्ष्मी पद्मावती वेंकटेंश बालाजी हनुमान एवं गरूण मंदिर के प्रांगण में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले ब्रह्मोत्सव का आज तीसरा दिन था। पूजा की शुरुआत मे प्रांत काल 6 बजे सुप्रभात सेवा से बालाजी भगवान को जगााया गया। उसके पश्चात भगवान बालाजी के सामने यज्ञशाला मे मूलमंत्र हवन किया गया। द्ववारतोरण मे चारो द्वारों की पूजा की गई। वेंकटेंश बालाजी कीे महाकुंभ आराधना की गई जिसमे बालाजी कीे चारो रूपो बिंब, अग्नि, जल व मंडल रूप मे पुजा की गई । माता गोदा देवी का दुध, दही, मक्खन, शक्कर, शहद व धी से अभिषेक किया गया। अभिषेक के बाद गोदामाता का आर्कषक श्रंगार किया गया। उसके बाद पुर्णा आहूती आयोजित की गई व तीर्थप्रसाद विवरण किया गया।
पुरे कार्यकम के द्धौरान दक्षिणभारत कें विशेष बाजा नादास्वरम का किर्तन कराया गया जों की अति आनन्ददायक था। भक्तजनो ने श्री गोविंदाय-गोविंदाय का स्वर के साथ पुजा का पुरा आंनद उठाया। आज पूजा के क्रार्यक्रम मे मंत्री कृष्षा गौर व पीसी शर्मा मौजूद रहे। शाम को माता श्रीदेवी, भूदेवी माता के साथ बालाजी महाराज का कल्याणम अर्थात विवाह संपन हुआ। केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक विविधता के लिहाज से भी कल्याणम बेहद खास है क्योंकि इस विवाह समारोह में दक्षिण भारतीय परंपराओं की सभी प्रमुख रस्मों का पालन किया गया। मंदिर परिसर में इन रस्मों के लिए एक रंग बिरंगी लाइटों से सजा भव्य मंडप तैयार किया गया। इस दिव्य विवाह में भगवान बालाजी दूल्हा थे जबकि उनकी दो पत्नियाँ श्रीदेवी और भूदेवी दुल्हन। भगवान बालाजी, श्रीदेवी और भूदेवी की मूर्तियों को इस तरह से रखा जाता है कि भगवान अपनी दुल्हनों के सामने हों।

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दूल्हा और दुल्हनों को अलग करने के लिए उनके बीच एक पर्दा लगाया जाता है। अनुष्ठानों के पालन के बाद पर्दा हटा दिया जाता है ताकि देवता अब आमने सामने हो। यह शुभ समारोह पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रों के जाप के बीच आयोजित किया जाता हैं। विवाह दक्षिण भारतीय पद्धति से कराया गया। विवाह महोत्सव कार्यकम में बालाजी भगवान को विवाह योग्यता कें लिए द्वितीय यग्नोपवीत धारण कराया गया। ग्रहस्थ जीवन मे प्रवेश के लिये जनेऊ पहनायी गई। भगवान के पैर पुजने के बाद उन्हे नये वस्त्र धारण कराये गये। श्रीपद्मावती और गौदाजी का भी अद्भुत श्रंगार किया गया। बालाजी भगवान, श्रीपद्मावती और गौदाजी का गोत्र और वंशचरित्र बताया गया उसके पश्चात् माताजी को मंगलसुत्र पहनाया गया।
कन्यादान मंदिर के संरक्षक डी. सुबोध सिंह एवं श्रीमती जयश्री सिंह ने किया। कन्यादान मे गोदान, भूदान व सोनादान किया गया। उसके बाद अक्षतारोपण पूजा का कार्य संपन हुआ। बालाजी भगवान के विवाह मे दक्षिण भारतीय मालामारपीडि नृत्य किया गया। ब्रह्मोत्सव के आखरे व चौथे दिन शनिवार सुबह 9 बजे प्रांतकाल मुलमंत्र हवन, महाकुंभआराधना, द्वारतोरणम् पूजा, सुदर्शन हवन, महापूर्णाहुति व भगवान बालाजी का 108 कलश से अभिषेक किया जायेगा। उसके पश्चात प्रसाद गोष्ठी होगी।

