-संत का काम है ईश्वर को जीव से जोडऩा
भोपाल
जिस दिन प्रत्येक सास बहू को बेटी समझने लगेगी पारिवारिक कलह बन्द हो जायेगी। स्नेह और प्रेम का भाव होता है तो जीवन मे झगड़े स्वत: ही बन्द होगें माता-पिता की सेवा जो करता है वह सुखपूर्वक संसार से तर जाता है और जो माता-पिता को दुख देता है वह घोर नरक में पढ़कर पूरा जीवन दुखी रहता है। व्यक्ति के जीवन में किए हुए यह हुए कर्म ही उसके अंत में सामने आते हैं अंत मति सो गति । यदि हम अपने जीवन में शुभ कर्म करते रहेंगे तो हमारे अंत समय में यही शुभ कर्म हमारे मोक्ष के द्वार खोल देंगे।
भेल के जम्बुरी मैदान में आयोजित श्रीरामकथा महोत्सव के सातवे दिन संत मुरलीधर महाराज जोधपुर राजस्थान ने राम वन गमन प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा की दशरथ जी से उनके द्वारा श्रवण वध के चलते ही उनको राम जी से विछोह हुआ इसलिए मनुष्य के जो कर्म होते हैं वह अंत तक उसके साथ रहते हैं पीछा नही छोड़ते हैं इसलिए मनुष्य को समय रहते भगवान की शरण में जाकर भजन करना शुरू कर देना चाहिए ।
कथा प्रसंग में राम केवट संवाद निषाद कथा और बाल्मीकि राम जी का प्रसंग वर्णित किया उन्होंने कहा कि जिनके माता-पिता इस दुनियां जीवित हैं ऐसे मनुष्य बड़े भाग्यशाली हैं और जो माता-पिता की सेवा करता है तो वह इस संसार रूपी भवसागर से सुखपूर्वक पार उतर कर कुल परिवार को धन्य कर देता है और जो व्यक्ति उनकी आत्मा को दुख देता है वह इस संसार सागर में दुखी रहकर डूब जाता है ।
महाराज श्री ने सुमधुर भजनों समय का पहिया चलता है तो मनुष्य का भाग्य बदलता है। तपसी का वेश धरकर भगवान राम, कैसे बताऊं तो हे नाथ धीरे-धीरे नाव ढ्ढजैसे भजनों को सुनकर श्रोता गणों के नेत्र सजल हो गए आज की कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा में उमड़ पड़े हजारों रामरसिक श्रोता मौजूद थे।
सकल समाज वरिष्ठ नागरिक सेवा समिति एवं श्रीराम कथा आयोजन समिति के प्रवक्ता बलवंत सिंह रघुवंशी एवं उपाध्यक्ष हरीश बाथवी ने बताया कि कथा का विश्राम 22 नमम्बर को होगा 22 को कथा प्रात: 10 बजे से ठीक 2 बजे तक होगी उसके बाद भण्डारा प्रसादी का आयोजन होगा ।