नई दिल्ली,
बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले पर कड़ी नाराजगी जताई है, जिसमें इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) मैचों के लिए पुलिस सुरक्षा शुल्क में कटौती की गई थी. कोर्ट ने कहा, “यह शुल्क है, टैक्स नहीं. आप झुग्गीवासियों से भी पानी के शुल्क में बढ़ोतरी करते रहते हैं, लेकिन बीसीसीआई से शुल्क कम कर रहे हैं? बीसीसीआई दुनिया की सबसे अमीर क्रिकेट एसोसिएशन है. इसी तरह वे अमीर बनते हैं.”
यह मामला एक जनहित याचिका से जुड़ा है, जिसे कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र सरकार ने 26 जून, 2023 को एक परिपत्र जारी कर आईपीएल मैचों के लिए पुलिस सुरक्षा शुल्क को 25 लाख रुपये से घटाकर 10 लाख रुपये प्रति मैच कर दिया. यह कटौती 2011 से पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू की गई है, जिससे लंबित बकाया राशि में भी कमी आएगी.
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सरकारी वकील ज्योति चव्हाण को मराठी परिपत्र की अनूदित प्रति प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.
गलगली ने अपनी याचिका में सरकार के इस फैसले को अवैध, मनमाना और असंवैधानिक बताया है. याचिका में कहा गया है कि यह निर्णय मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) को फायदा पहुंचाने के लिए लिया गया है, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है. याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि मुंबई पुलिस ने 2013 से 2018 के बीच वानखेड़े और ब्रेबोर्न स्टेडियम में आयोजित आईपीएल मैचों के लिए एमसीए से 14.82 करोड़ रुपये का भुगतान मांगा था, लेकिन अब तक यह बकाया राशि वसूल नहीं की जा सकी है.
आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुलिस विभाग ने एमसीए को बकाया राशि के भुगतान के लिए 35 पत्र भेजे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है. याचिका में कहा गया है कि आईपीएल एक व्यावसायिक उपक्रम है और इसमें निजी स्वामित्व वाली फ्रेंचाइजी के बीच मैच खेले जाते हैं. सरकार और पुलिस की इस मामले में गंभीरता की कमी राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचा रही है.