भारत छोड़कर चीन की तरफ भाग रहे निवेशक! ड्रैगन ने एक चाल से कैसे पलट दी बाजी?

नई दिल्ली

पिछले दो साल में एमर्जिंग मार्केट निवेशकों ने ‘भारत में खरीदो और चीन में बेचो’ की नीति का पालन करते हुए खूब पैसा बनाया। लेकिन चीन के एक कदम से यह स्थिति पलट गई है। चीन की सरकार ने अपनी इकॉनमी में जान फूंकने के लिए हाल में स्टीम्युलस पैकेज का ऐलान किया है। इसके बाद से वहां के शेयर मार्केट में काफी तेजी आई है। इससे निवेशक भारत से पैसा निकालकर चीन का रुख कर रहे हैं। चीन के सीएसआई 300 इंडेक्स में एक सप्ताह में 25% उछाल आई है जबकि हैंग सेंग 16% चढ़ गया। दूसरी ओर निफ्टी और सेंसेक्स दोनों ही बिकवाली का दबाव है। सोमवार के कारोबार में एफआईआई ने एक अरब डॉलर से अधिक की निकासी की। इससे सेंसेक्स में लगभग 1,300 अंक की गिरावट आई।

सिंगापुर की वित्तीय सेवा फर्म डीबीएस ग्रुप के जोआन सिउ चिन ने कहा कि भारत ने मजबूत प्रदर्शन किया है और हम अन्य बाजारों पर भी नजर रख रहे हैं। चीन और आसियान वास्तव में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। भारत वास्तव में एक डोमेस्टिक लिक्विडिटी मार्केट है। चीन सरकार के मौद्रिक और तरलता उपायों की घोषणा के बाद उसका प्रदर्शन इस साल के बाकी महीनों में भारत से बेहतर रहेगा। लिक्विडिटी को मुक्त करने के लिए चीन ने बैंकों के लिए रिजर्व रेश्यो को 50 आधार अंकों से कम कर दिया है। इसने मौजूदा आवास के लिए मोर्टगेज रेट को भी 50 बीपीएस से कम कर दिया है।

चीन में तेजी
चीन सरकार के इन उपायों से उपभोग की मांग बढ़ेगी। इसके अलावा पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने भी निकट भविष्य में अपनी नीति में ढील देने का संकेत दिया है। नोमुरा के चेतन सेठ ने कहा कि निवेशकों से मिली प्रतिक्रिया और कुछ बाजार संकेतकों का आकलन करने से पता चलता है कि इस बार रैली पिछली बार की तुलना में अधिक टिकाऊ हो सकती है। निवेशक हांगकांग/चीन के शेयरों में कम निवेश कर रहे थे। लेकिन अब स्थिति बदल रही है। उम्मीद की जा रही है कि चीन के बाजार लंबी नींद के बाद अब उठेंगे।

हाल ही में एमएससीआई एसी वर्ल्ड इन्वेस्टेबल मार्केट इंडेक्स में भारत का वेट चीन से अधिक हो गया था। इससे एफआईआई को फिर से चीन में निवेश करने के लिए पर्याप्त जगह मिल गई है। चीनी शेयरों का सस्ता वैल्यूएशन उन्हें आकर्षित कर रहा है। जियोजित के डॉ. वी के विजयकुमार ने कहा कि चीन में तेजी लंबे समय तक बनी रह सकती है। इसका मतलब है कि एफआईआई भारत में बेचना जारी रख सकते हैं और बेहतर प्रदर्शन करने वाले बाजारों में कुछ और पैसा लगा सकते हैं। लेकिन इससे भारतीय बाजार पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि भारी घरेलू निवेशक भी मजबूत हैं।

क्या होगा असर
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों ने कहा कि भारत में एफआईआई का प्रवाह निष्क्रिय किस्म का रहा है और सक्रिय एफआईआई चीन का रुख कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने इस बात पर संदेह जताया कि सक्रिय एफपीआई भारत में अपने स्टॉक का अहम हिस्सा बेचेंगे और उसे चीन ले जाएंगे। जीईएम ईटीएफ फंड से निष्क्रिय या ईटीएफ इन्क्रीमेंटल फ्लो में कुछ कमी देखी जा सकती है। विभिन्न बेंचमार्क सूचकांकों में दोनों देशों के रिलेटिव वेट भार में किसी भी बदलाव से केवल जीईएम ईटीएफ फंड से इन्क्रीमेंटल फ्लो पर असर होगा।

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