वक्फ बिल पर जेडीयू में दो फाड़, बिहार चुनाव से पहले टूट जाएगी नीतीश कुमार की पार्टी?

पटना

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी इस बिल पर दो भागों में बंटती दिख रही है। जेडीयू के मुस्लिम नेता एक तरफ हो रहे हैं। जेडीयू एमएलसी गुलाम गौस पहले ही बिल का विरोध कर चुके हैं। अब पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम रसूल बलियावी ने भी एनडीए सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन बिल पर पार्लियामेंट में सब लोग खुल गए। बिल की कॉपी आने के बाद जल्द ही मीटिंग बुलाई जाएगी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार चुनाव से पहले जेडीयू टूट जाएगी?

क्या बोले गुलाम रसूल बलियावी
गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि एदारा-ए-शरिया ने अपने सुझाव जेपीसी, नीतीश कुमार और नायडू को भी दिए थे। उन्होंने बताया कि आज शाम तक बिल की कॉपी आ जाएगी। इसके बाद एदारा-ए-शरिया एक बड़ी बैठक करके फैसला करेगा। उन्होंने लोगों से सिर्फ सोशल मीडिया पर लिखने के बजाय मैदान में उतरने की बात कही। उन्होंने कहा कि सिर्फ वॉल पर लिखने के लिए नहीं, वाट्सएप, फेसबुक पर सिर्फ ताना देने के लिए नहीं, मैदान में उतरने की हिम्मत रखिए और मीटिंग की जब खबर दी जाए तो आइये।

बीजेपी का बलियावी पर पलटवार
गुलाम रसूल बलियावी के बयान पर बीजेपी ने भी जवाब दिया है। बीजेपी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि गुलाम रसूल जैसे लोगों की दुकानदारी अब बंद होने वाली है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोग वक्फ की जमीन को हड़पकर उसकी दलाली करते थे। उन्होंने कहा कि वक्फ की जमीन से होने वाली आय का फायदा गरीब मुसलमानों तक नहीं पहुंचता।

अब दलाली खत्म होने वाली है
नीरज कुमार ने आगे कहा कि ये लोग वक्फ की जमीन को अपनी जागीर समझते थे और उससे खूब पैसा कमाते थे। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि अब इनकी दलाली बंद होने वाली है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी सही मायने में धर्मनिरपेक्षता स्थापित करने जा रहे हैं। इसी वजह से पसमांदा समाज और गरीब मुसलमान पीएम मोदी को धन्यवाद दे रहे हैं।

सियासी मतभेद आने लगे सामने
वहीं सियासी पंडितों का कहना है कि वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर राजनीतिक दलों में मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं। जेडीयू के अंदर भी इस बिल को लेकर दो राय हैं वहीं, बीजेपी का कहना है कि इस बिल से वक्फ की जमीन का सही इस्तेमाल हो सकेगा और गरीब मुसलमानों को फायदा होगा। ऐसे में ब देखना यह है कि एदारा-ए-शरिया इस मामले में क्या फैसला लेता है और आगे इस बिल को लेकर क्या होता है।

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