नई दिल्ली:
दिल्ली के कुछ इलाके गर्मी का हॉट स्पॉट बनते जा रहे हैं। इस सीजन में लू का कहर जारी हो चुका है। लू का दूसरा स्पैल 16 अप्रैल से शुरू होने की संभावना है। ऐसे में एक्सपर्ट्स के अनुसार इन हॉट स्पॉट्स की पहचान कर यहां राहत के कदम उठाने जरूरी हैं। इन जगहों के लिए स्पेशल हीट एक्शन प्लान तैयार किए जाने चाहिए, साथ ही रिलीफ जोन भी तुरंत बनाए जाने की जरूरत है।
मार्च से ही राजधानी के विभिन्न इलाकों के तापमान के बीच बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। एक्सपर्ट इन्हें हीट आइलैंड इफेक्ट बता रहे हैं। सीएसई के मुताविक, कुछ एरिया में कंक्रीट का अधिक इस्तेमाल, ग्रीन कवर की कमी के साथ अन्य फैक्टर वहां गर्मी को बढ़ा रहे हैं। ऐसे इलाके लू को लेकर काफी अधिक संवेदनशील है। मौजूदा समय में राजधानी में ऐसे 60 के करीब अर्बन हीट आइलैंड हो सकते हैं। इनमें पीतमपुरा, रिज, नजफगढ़, राजघाट, पालम आया नगर और कई इलाके शामिल हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, अर्बन एरिया में तापमान के बीच कम दूरी में भी अधिक अंतर देखने को मिलता है। इसकी वजह कई लोकल कारण हो सकते हैं। जैसे उन एरिया में वॉटर वॉडी का होना या न होना, वंजर या खाली जगह का होना या न होना, काफी घने अर्बन कलस्टर होना, ग्रीन एरिया अधिक या कम होना। वहीं राजधानी के कुछ एरिया राजस्थान से आने वाली गर्म हवाओं की चपेट में पहले आते हैं इसलिए अधिक गर्म हो जाते हैं। खासतौर पर यह समस्या दिल्ली के पश्चिमी हिस्से के साथ है। राजस्थान से आने वाली गर्म हवाएं सबसे पहले यही पहुंचती हैं।
जानें क्या है वजह
स्काईमेट के महेश पलावत के अनुसार, अर्बन हीट आइलैंड बनने और बढ़ने की कई वजह हैं। गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, अन्य तरह के ईंधन का इस्तेमाल, एसी का अधिक इस्तेमाल, लैंड यूज कवर, उस एरिया में किस तरह की कंक्रीट का इस्तेमाल है इन सब की वजह से एरिया का तापमान सीधे तौर पर प्रभावित होता है। इनके अनुसार दिन के समय अर्बन कूल आइसलैंड का भी असर होता है। यानी विल्डिंग सूरज की गर्मी को सोखती हैं और रात में विल्डिंग गर्मी को उगलती हैं। और तापमान बढ़ाने लगती हैं।