नई दिल्ली
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक बड़ा झटका लगा है। उनकी ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ योजना को ट्रेड कोर्ट ने रोक दिया है। इसके तुरंत बाद ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट की। इसमें उन्होंने लिखा कि वह भगवान के मिशन पर हैं। ट्रंप ने कहा कि वह एक खास मकसद से काम कर रहे हैं। ट्रंप के इस बयान से कई लोग हैरान हैं। लोग सोच रहे हैं कि आखिर ट्रंप का क्या मकसद है।
ट्रंप ने कोर्ट के फैसले के बाद ट्रूथ सोशल पर अपनी एक तस्वीर शेयर की। उस पर लिखा था- He’s on a mission from God & nothing can stop what is Coming यानी वह भगवान के मिशन पर हैं और जो होने वाला है, उसे कोई नहीं रोक सकता।’
कोर्ट ने लगाई टैरिफ पर रोक
मैनहट्टन की इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट ने बुधवार ट्रंप के टैरिफ को लेकर फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा कि ट्रंप के पास ये नए टैरिफ लगाने का कानूनी अधिकार नहीं है। कोर्ट के जज ने कहा कि दूसरे देशों के साथ व्यापार को कंट्रोल करने का अधिकार सिर्फ अमेरिका कांग्रेस के पास है। राष्ट्रपति अपनी इमरजेंसी शक्तियों का इस्तेमाल इस काम के लिए नहीं कर सकते। कोर्ट ने यह भी कहा कि वे इस बात पर कोई फैसला नहीं दे रहे हैं कि टैरिफ सही हैं या गलत। वे सिर्फ यह कह रहे हैं कि कानून राष्ट्रपति को इस तरह से इनका इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देता।
दो केस हुए थे दायर
इस मामले में दो केस दायर किए गए थे। पहला मुकदमा लिबर्टी जस्टिस सेंटर ने पांच छोटी अमेरिकी कंपनियों की तरफ से दायर किया था। ये कंपनियां इम्पोर्ट पर निर्भर हैं। दूसरा मुकदमा 13 अमेरिकी राज्यों ने दायर किया था, जिसकी अगुवाई ओरेगन के अटॉर्नी जनरल डैन रेफील्ड ने की थी।
इन कंपनियों का कहना है कि टैरिफ से उनके काम पर बुरा असर पड़ेगा। इनमें एक न्यूयॉर्क की वाइन इम्पोर्ट करने वाली कंपनी और एक एजुकेशनल किट बनाने वाली कंपनी शामिल हैं। रेफील्ड ने टैरिफ को गैरकानूनी, लापरवाह और आर्थिक रूप से विनाशकारी बताया था।
सुप्रीम कोर्ट भी जा सकता है केस
ट्रंप ने अप्रैल में ये टैरिफ लगाए थे। उन्होंने अमेरिका के ट्रेड डेफिसिट को राष्ट्रीय इमरजेंसी बताया था। उन्होंने सभी इम्पोर्ट पर 10% टैक्स लगाने की योजना बनाई थी। चीन जैसे देशों पर और भी ज्यादा टैक्स लगाने की योजना थी, जो अमेरिका को ज्यादा सामान बेचते हैं और खरीदते कम हैं। हालांकि, इनमें से कई स्पेशल टैरिफ को एक हफ्ते बाद ही रोक दिया गया था। इस फैसले के खिलाफ ऊंची अदालत में अपील की जा सकती है। यह मामला अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक भी जा सकता है।