अररिया
नेपाल में यातायात व्यवसाय से जुड़े कई संगठनों ने सोमवार को चक्का जाम कर दिया। इस वजह से पूरे देश में यातायात व्यवस्था ठप हो गई। संगठनों के लोगों ने सड़कों पर किसी भी तरह के वाहन को चलने नहीं दिया। इससे नेपाल घूमने आए हजारों नागरिकों और पर्यटकों को बहुत परेशानी हुई। यातायात बंद होने के कारण कई पर्यटक अलग-अलग जगहों पर फंस गए।
तो अनिश्चितकाल के लिए बंद कर देंगे
दरअसल, नेपाल में यातायात व्यवस्था से जुड़े कारोबारियों और संगठनों की कुछ मांगें हैं। वे चाहते हैं कि भारतीय नंबर की गाड़ियों को नेपाल में 72 घंटे से अधिक रुकने की अनुमति न मिले। हालांकि, इस आंदोलन में एम्बुलेंस जैसी जरूरी सेवाओं को शामिल नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे अनिश्चितकाल के लिए बंद कर सकते हैं।
खाली पड़े रहे बस स्टैंड
नेपाल सार्वजनिक यातायात केन्द्रीय महासंघ, नेपाल यातायात व्यवसायी राष्ट्रीय महासंघ, नेपाल ढुवानी व्यवसायी महासंघ, नेपाल यातायात स्वतंत्र मजदूर संगठन, नेपाल यातायात मजदूर संघ और दूसरे संगठनों ने मिलकर ये बंद बुलाया था। उन्होंने सड़कों पर किसी भी तरह के व्यवसायिक वाहन को चलने नहीं दिया। बंद का असर ये हुआ कि विराटनगर और इटहरी जैसे इलाकों के बस स्टैंड खाली पड़े रहे। गाड़ियां नहीं चलने से बहुत से लोग इधर-उधर भटकते दिखे। आम लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
क्या है संगठनों की मांग
यातायात व्यवसायी संगठनों की मांग है कि नेपाल के निजी वाहनों को व्यवसायिक रूप से इस्तेमाल करने पर रोक लगाई जाए। साथ ही, भारत से नेपाल आने वाले मालवाहक वाहन और सवारी गाड़ियों को 72 घंटे से अधिक नेपाल में रुकने की अनुमति न दी जाए। इसके अलावा, संगठन दूसरी कई मांगों को लेकर भी आंदोलन कर रहे हैं। यातायात संगठनों ने सार्वजनिक बस, ऑटो, ट्रक, मिनी बस, जीप, माइक्रो बस जैसे सभी वाहनों को बंद कर दिया था।
जहां-तहां फंसे रहे यात्री
यातायात व्यवसायियों की हड़ताल के कारण रानी विराटनगर और दूसरे स्थानों पर हजारों यात्री और पर्यटक फंसे रहे। जोगबनी से सीमा पार कर नेपाल जाने वाले लोगों को भी गाड़ियां नहीं मिलने से बहुत परेशानी हुई। बॉर्डर पर फंसे लोग जैसे-तैसे रिक्शा या पैदल ही अपनी मंजिल तक जाने को मजबूर थे। बॉर्डर पर गाड़ियों के बंद रहने से अफरा-तफरी का माहौल था।