भोपाल: आधुनिक चिकित्सा (एलोपैथी) और प्राचीन आयुर्वेद के ज्ञान को एक साथ लाने के लिए, AIIMS भोपाल और पतंजलि रिसर्च फ़ाउंडेशन ट्रस्ट के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता (MoU) कुछ समय पहले हुआ । इस साझेदारी के तहत, पतंजलि रिसर्च फ़ाउंडेशन द्वारा फैटी लिवर, एलर्जिक राइनाइटिस (एलर्जी), और कई अन्य बीमारियों के लिए बनाई गई दवाओं पर वैज्ञानिक शोध किया जाएगा।
पतंजलि का दावा है कि ये दवाएं मरीज़ों को 100% ठीक करती हैं और इनमें एलोपैथिक दवाओं का बिल्कुल भी उपयोग नहीं किया जाता। अब AIIMS भोपाल इस दावे की गहनता से जाँच करेगा। यदि यह दावा सही साबित होता है, तो AIIMS प्रबंधन एलोपैथी और पतंजलि की आयुर्वेदिक दवाओं के साथ संयुक्त रूप से मरीज़ों का इलाज भी करेगा।
दवाओं पर 90 दिनों का शोध और जाँच का तरीक़ा
मरीज़ों पर इन दवाओं के पूर्ण शोध के लिए, पतंजलि द्वारा AIIMS को दवाएं मुफ़्त में प्रदान की जाएंगी। पतंजलि और AIIMS मिलकर लगभग 90 दिनों तक संयुक्त शोध करेंगे। इसके बाद, दोनों समूहों के मरीज़ों का मूल्यांकन किया जाएगा। इसमें मरीज़ों पर दवा का प्रभाव, लैब में कोशिकाओं पर इसका असर और अन्य रसायनों के साथ इसकी प्रतिक्रिया की जाँच की जाएगी। इससे यह पता चलेगा कि पतंजलि की दवाएं संबंधित बीमारियों पर कितनी प्रभावी हैं।
इन आठ बीमारियों पर होगा संयुक्त शोध
AIIMS भोपाल के डॉक्टरों ने बताया था कि कुल आठ बीमारियों पर संयुक्त शोध किया जाएगा। हालांकि, शोध के पहले चरण में गंभीर मरीज़ों को शामिल नहीं किया जाएगा। शोध के बाद जो भी परिणाम सामने आएंगे, उन्हें सार्वजनिक किया जाएगा। AIIMS का कहना है कि इन बीमारियों के इलाज के लिए शोध कार्य पहले से ही चल रहा है।
पहले चरण में, एलर्जिक राइनाइटिस (एलर्जी) और फैटी लिवर के मरीज़ों पर शोध किया जाएगा। इसके लिए मरीज़ों के तीन समूह तैयार किए जाएंगे। एक समूह को केवल एलोपैथी दवाएं दी जाएंगी। दूसरे समूह को एलोपैथी के साथ पतंजलि की दवाएं दी जाएंगी और तीसरे समूह के मरीज़ों को केवल पतंजलि की दवाएं दी जाएंगी।
पार्टनरशिप के तहत जिन आठ बीमारियों पर संयुक्त शोध होगा, उनमें शामिल हैं: फैटी लिवर, एलर्जी, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ, लिवर के विकार (Liver Disorders), श्वसन संबंधी समस्याएँ (Respiratory Problems), किडनी की बीमारियाँ और न्यूरोलॉजिकल विकार। इसी क्रम में, पतंजलि द्वारा विकसित एविडेंस-बेस्ड आयुर्वेदिक दवाओं लिवोग्रिट (Livogrit) और ब्रोंकोम (Broncom) के क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल्स पर भी विचार किया जाएगा।
मरीजों को मिलेंगे प्रभावी स्वास्थ्य समाधान
AIIMS भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया था कि, “AIIMS भोपाल और पतंजलि रिसर्च फ़ाउंडेशन ट्रस्ट के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह समझौता आधुनिक एलोपैथिक चिकित्सा और प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान के समन्वय से संयुक्त शोध, शिक्षा और नवाचार को बढ़ावा देगा।” उन्होंने आगे कहा था कि, “इससे मरीज़ों को समग्र और प्रभावी स्वास्थ्य समाधान भी मिलेंगे।” MoU पर हस्ताक्षर के अवसर पर पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय भी उपस्थित थे।
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AIIMS में बनेगा मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा हर्बल गार्डन!
इस साझेदारी के तहत, AIIMS और पतंजलि रिसर्च फ़ाउंडेशन मिलकर AIIMS भोपाल परिसर में मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा हर्बल गार्डन भी स्थापित करेंगे। इसके लिए, वे उन आदिवासी वैद्यों, हकीमों या बुजुर्गों से मिलेंगे, जिन्हें इस पारंपरिक ज्ञान की जानकारी है। उनकी मदद से, वे पौधों की पहचान करेंगे। जो भी जड़ी-बूटियाँ खोजी जाएंगी, उन पर AIIMS में वैज्ञानिक शोध किया जाएगा। इससे पता चलेगा कि वे कितनी प्रभावी हैं और उनमें कौन से रासायनिक तत्व मौजूद हैं। यह हर्बल गार्डन शोध और शैक्षिक उपयोग के लिए अपार संभावनाएँ रखेगा।
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अस्वीकरण (Disclaimer):यह लेख AIIMS भोपाल और पतंजलि रिसर्च फ़ाउंडेशन के बीच हुए एक समझौते (MoU) और उसके तहत प्रस्तावित शोध कार्य पर आधारित है। कृपया ध्यान दें कि यह समझौता मार्च 2024 में हुआ था, न कि हाल ही में जून 2025 में। इस रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी उस समय की घोषणाओं और योजनाओं से संबंधित है। शोध की वर्तमान स्थिति और परिणामों के लिए कृपया AIIMS भोपाल और पतंजलि रिसर्च फ़ाउंडेशन की आधिकारिक वेबसाइट्स पर नवीनतम अपडेट्स देखें।