भोपाल।
चार माह से पारिश्रमिक न मिलने से स्व सहायता समूह बहनों पर गहराया संकट, “चूल्हा बंद हड़ताल” जारी — मशीनों से भोजन निर्माण योजना पर विवाद तेज,प्रदेशभर की लाखों स्व सहायता समूह बहनें, जिन्होंने *पीएम पोषण योजना* के अंतर्गत वर्षों से विद्यालयों के बच्चों को मातृत्व भाव से भोजन कराकर महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल पेश की है, आज गहरे आर्थिक और सामाजिक संकट का सामना कर रही हैं। बीते चार माह से शासन द्वारा पारिश्रमिक राशि जारी न किए जाने के कारण बहनों की आजीविका खतरे में पड़ गई है।
बच्चों का भोजन जारी रखने के लिए अधिकांश बहनों ने कर्ज लिया, कई ने अपनी गृहस्थी की पूंजी दांव पर लगा दी, लेकिन अब स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि कर्ज देने वाले भी पीछे हट गए हैं। मजबूरी में प्रदेशभर की बहनें *“चूल्हा बंद हड़ताल”* पर उतर आई हैं और इसका असर स्कूलों तक दिखने लगा है।
प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ की प्रदेश अध्यक्ष सरिता ओमप्रकाश सिंह बघेल ने कहा कि, “हमारी बहनों ने हमेशा बच्चों को अपने परिवार का हिस्सा मानकर सेवा की है, लेकिन शासन की उपेक्षा ने आज उनके आत्मसम्मान और भविष्य दोनों को संकट में डाल दिया है। जब तक विभाग पारिश्रमिक राशि जारी नहीं करता, आंदोलन जारी रहेगा।”
महासंघ ने यह भी गंभीर आरोप लगाया है कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों में अधिकारियों द्वारा समूह बहनों पर दबाव डाला जा रहा है। आंदोलन जारी रखने पर समूहों को हटाने की धमकी दी जा रही है। महासंघ का कहना है कि यह महिला सशक्तिकरण पर सीधा हमला है और गरीब तथा आदिवासी महिलाओं के अधिकारों का हनन है। प्रदेश अध्यक्ष बघेल ने स्पष्ट कहा कि आंदोलन करना लोकतांत्रिक अधिकार है, और बहनों को धमकाना प्रशासन की असंवेदनशीलता और नकारात्मक मानसिकता को उजागर करता है।
इसी बीच, शासन द्वारा लाई जा रही *मैकेनाइज्ड मशीनों से भोजन निर्माण की योजना* ने विवाद और बढ़ा दिया है। महासंघ का कहना है कि मशीनों से बने भोजन में ताजगी, स्वाद और मातृत्व भाव का अभाव रहेगा, जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा। साथ ही हजारों स्व सहायता समूह और रसोइया बहनों का रोजगार खत्म हो जाएगा। बिहार में ऐसी व्यवस्था लागू होने के बाद बच्चों के स्वास्थ्य और रोजगार पर जो नकारात्मक प्रभाव पड़े, वह इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
महिला महासंघ का मानना है कि यह केवल आर्थिक सवाल नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण, रोजगार और ग्रामीण-आदिवासी महिलाओं के अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा है।
प्रदेश अध्यक्ष **सरिता ओमप्रकाश सिंह बघेल ने कहा, हर बार मेहनताना पाने के लिए आंदोलन करना हमारे साथ अन्याय है। बहनों को धमकाने के बजाय सरकार को उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए। महिला सशक्तिकरण नारों से नहीं, बल्कि संवेदनशील नीतियों से सशक्त होता है।