भोपाल।
वर्षीय सेवानिवृत्त बीएचईएल सुपरवाइजर दो महीने तक चले “डिजिटल गिरफ्तारी” घोटाले का शिकार हो गए हैं, जिसमें साइबर धोखेबाजों ने उन्हें 68.3 लाख रुपये का चूना लगा दिया। ये धोखेबाज सीबीआई, दिल्ली पुलिस और दूरसंचार विभाग के अधिकारी बनकर आए थे। अपराधियों ने उन पर आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया।
पुलिस के अनुसार, 71 वर्षीय शिकायतकर्ता को धोखेबाजों का एक व्हाट्सएप कॉल आया, जिन्होंने खुद को वरिष्ठ अधिकारी बताया। उन्होंने झूठा दावा किया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके दिल्ली के चांदनी चौक में एक सिम कार्ड जारी किया गया है और उसका दुरुपयोग अवैध गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। घोटालेबाजों ने आगे आरोप लगाया कि उनके बैंक खाते से जुड़े 68 करोड़ रुपये के काले धन, मादक पदार्थों की तस्करी और मानव अंग व्यापार के रिकॉर्ड के सबूत मिले हैं।
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उन्होंने धमकी दी कि उनके खिलाफ मानव तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया जाएगा, जिससे उन्हें जेल भी हो सकती है। इसके बाद शिकायतकर्ता को वीडियो कॉल के ज़रिए एक और धोखेबाज़ ने सीबीआई अधिकारी बनकर संपर्क किया। लगभग दो घंटे तक, दोनों ने उसे यकीन दिलाया कि अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए, उसे अपनी सारी रकम जाँच के लिए एक नए बैंक खाते में जमा करानी होगी। उन्होंने उसे भरोसा दिलाया कि अगर कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई, तो पैसे वापस कर दिए जाएँगे।