-बिना संचालक मंडल के अनुमोदन अध्यक्ष ने बता दिया संस्था का लेखा जोखा
-बेलेंस शीट का इंतजार के बाद ही पता चल पायेगा सही ब्योरा
भोपाल
भेल की प्रतिष्ठित बीएचईई थ्रिफ्ट एंड के्रडिट कॉपरेटीव सोसायटी के चुनाव कराने में संस्था के कर्ता-धर्ताओं ने भले ही आठ माह से चुनाव न करा कर करीब 5000 हजार सदस्यों को गुमराह करने की कोशिश की हो लेकिन आज भी वह यह बताने तैयार नहीं हैं कि आखिर चुनाव होंगे तो कब होंगे । कभी भेल प्रबंधन को चुनाव कराने के लिये जगह मांगने की कोशिश की जा रही है तो कभी सहकारिता विभाग से बातचीत जारी है । यह तय नहीं हो पा रहा है कि संस्था के कर्ता-धर्ता आखिर कर क्या रहे हैं । पांच हजार सदस्यों की 125 करोड़ रूपये की जमा पूंजी ने सदस्यों को सोचने को मजबूर कर दिया है ।
पिछले चुनाव में एक ही पैनल से जीत कर आये संचालकों के हाथ में सदस्यों ने सवा सौं करोड़ की संस्था सौंपी थी लेकिन देखत ही देखते संचालक मंडल के दो फाड़ हो गये । यही कारण है कि यह एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं । सही कौन है और कौन नहीं इसका फैसला भी मतदाता चुनाव में कर ही देंगे । हाल ही में संस्था के अध्यक्ष ही बिना संचालक मंडल के अनुमोदन और सीए की बेलेंस शीट प्रस्तुत किये हुये ही संस्था की वित्तिय वर्ष 2021-2022 को लेखा जोखा वाट्सएप ग्रुप (सोशल मीडिया) पर जारी कर दिया । इसमें न तो सीए और न ही संचालक मंडल का अनुमोदन है ।
अब इसको संस्था के ही संचालक चुनावी हथकंडा बताकर विरोध कर रहे हैं । बड़ी बात यह है कि दोनों पक्ष संस्था में बैठकर खरीद-फरोख्त के कारोबार में अपने-अपने हस्ताक्षर भी कर रहे हैं । जनवरी में संस्था का संचालक मंडल का कार्यकाल खत्म हो चुका है । इसमें संस्था के अध्यक्ष सचिव,उपाध्यक्ष और एक डायरेक्टर की अहम भूमिका है । संस्था में बैठकर हस्ताक्षर अभियान के तहत काम तो चल रहा है लेकिन सदस्यों को बताने आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी लगाये हुये है । इससे सदस्य गुमराह हो गये हैं । संस्था के कर्ता-धर्ता अपने ही सदस्यों को चुनाव की तिथि तक बताने तक तैयार नहीं है ।
सूत्रों की माने तो 125 करोड़ की संस्था में 100 करोड़ का ऋण बांट देना भी अजीब सी बात है । कल संस्था किसी संकट में फंसती है तो संस्था के क्या हाल होंगे इसका जवाब कोई देने कोई तैयार नहीं हैं सिर्फ चुनावी रंग में रंगे जवाबदार लोग अपनी जवाबदारी को समझने की कोशिश ही नहीं कर रहे हैं इसको लेकर सदस्य गंभीर हैं । बड़ी बात यह है कि जिस संस्था में पिछले 4 साल में कोई बड़ा प्राफिट दिखाई नहीं दिया वह अंतिम पांचवे साल में कोरोना काल के चलते बड़े प्राफिट में कैसे आ गई इसको लेकर कई सवाल खड़े हो गये ।
वहीं संस्था द्वारा संचालित दुकानों का ट्रेडिंग एकाउंट भी जारी नहीं किया गया । एक ही पैनल से जीते संचालक मंडल के डायरेक्टर भले ही आज अलग-अलग हो गये हों लेकिन संस्था हित में आम सदस्यों को सही जानकारी देना जरूरी हो गया । गौरतलब है कि करीब भेल के 5000 कर्मचारी व अधिकारी इस संस्था के सदस्य हैं और वह इस चुनावी घमासान को भलीभांति देख रहे हैं ।