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Tuesday, July 8, 2025
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दिखावटी होते हैं मगरमच्छ के आंसू… MP के कैबिनेट मंत्री विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट ने खूब सुनाया, SIT गठन के निर्देश

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नई दिल्ली,

मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री विजय शाह के कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर फटकार लगाई है. कोर्ट ने इस मामले में एसआईटी गठित करने को मंजूरी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह का माफीनामा नामंजूर करते हुए मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश दिया है. इस एसआईटी में तीन आईपीएस अधिकारी होंगे, जिसमें एक महिला अधिकारी भी होंगी.

अदालत ने मध्य प्रदेश के बाहर के तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की विशेष जांच समिति (SIT) बनाने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले पर करीब से नजर रखेंगे. इस संबंध में मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया गया है. अदालत ने कहा कि हम एसआईटी को निर्देश देते हैं कि वह इस जांच के नतीजे स्टेटट रिपोर्ट के जरिए पेश करे. इस मामले पर एसआईटी पहली रिपोर्ट 28 मई को पेश करेगी.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने पूछा कि आपने क्या माफी मांग ली है? कोर्ट ने विजय शाह से कहा कि आपने क्या कहा और क्या माफी मांगी, उसके वीडियो दिखाइए? हम जानना चाहते हैं कि आपने कैसे माफी मांगी है. कुछ लोग तो इशारों से माफी मांगते हैं. कुछ घड़ियाली आंसू बहाते हैं. हम जानना चाहते हैं.

कोर्ट ने विजय शाह के वकील मनिंदर सिंह से कहा कि हमें आपकी ऐसी माफी नहीं चाहिए. आप पहले गलती करते हैं फिर कोर्ट चले आते हैं. आप जिम्मेदार नेता हैं. आपको सोच समझकर बोलना चाहिए लेकिन आपने बहुत घटिया भाषा अपनाई है.

इस पर विजय शाह के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि वो माफी मांग चुके हैं. माफी का वीडियो भी जारी कर चुके हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि माफी किस तरह से मांगी गई है इस पर निर्भर करता है. आपकी भाषा और अंदाज से नहीं लग रहा कि आप लज्जित हैं. आप कह रहे हैं कि किसी को ठेस पहुंची हो तो आप क्षमा चाहते हैं. हम आपकी माफी की अपील खारिज करते हैं. आपने सिर्फ इसलिए माफी मांगी है क्योंकि कोर्ट ने कहा है. आपने 12 मार्च को ये बयान दिया. आपको पता था कि जब जनता की भावनाएं सेना के पराक्रम और देश के साथ थीं तब आपने ऐसी घटिया भाषा सार्वजनिक तौर पर अपनाई.

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमे आपकी माफी की रूरत नहीं है.ये अदालत कि अवमानना का केस नहीं है कि आप माफी मांगकर बच जाओ. आप अदालत में अर्जी दाखिल कर माफी को इसके साथ जोड़ रहे हैं. हम कानून के मुताबिक इससे निपट सकते हैं. हाईकोर्ट ने अपनी ड्यूटी बखूबी निभाई है.

दिखावटी मगरमच्छ के आंसू बहाते
इस पर सूर्य कांत ने पूछा कि वह माफी क्या है और कहां है। आगे जस्टिस कांत ने कहा कि यहां एक मामला है। हम वीडियो क्लिप दिखा रहे हैं। हम देखना चाहते हैं कि आपने कैसी माफी मांगी है। ‘माफी’ शब्द का एक मतलब होता है। कभी-कभी लोग सिर्फ मुसीबत से बचने के लिए माफी मांगते हैं। लोग दिखावटी मगरमच्छ की आंसू बहाते हैं। आपकी माफी कैसी है?

सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री विजय शाह के बयान पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि आपने बिना सोचे समझे ऐसी बातें कैसे कीं? आप माफी पर इतना जोर क्यों दे रहे हैं? कोर्ट ने पूछा कि आपने ईमानदारी से माफी मांगने की कोशिश क्यों नहीं की? कोर्ट ने यह भी कहा कि यह कोर्ट की अवमानना नहीं है। आप यहां आ रहे हैं और इसलिए माफी मांग रहे हैं… क्या यही आपका रवैया है।

कोर्ट ने आगे कहा कि एक वीडियो में, किसी व्यक्ति को अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए देखा गया। लेकिन उसने खुद को रोक लिया. इस घटना पर ध्यान देना ज़रूरी है। खासकर, Armed Forces के लिए। हमें बहुत ज़िम्मेदारी से काम लेना चाहिए।

पूरा देश शर्मिंदा है…
जस्टिस कांत ने वकील मनिंदर सिंह से कहा कि इस बीच, आप सोचते हैं कि आप खुद को कैसे बचाएंगे…पूरा देश शर्मिंदा है…हम एक ऐसा देश हैं जो कानून के शासन में दृढ़ता से विश्वास करता है…न्यायाधीश कभी किसी के खिलाफ पूर्वाग्रह नहीं रखते हैं। न्यायालय के आदेश से किसी को नुकसान नहीं होता। यह एक स्थापित सिद्धांत है।

बीएनएस की धारा 152: यह देशद्रोह की धारा है. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने का कृत्य.
बीएनएस की धारा 196(1)(b): अलग-अलग समुदायों के आपसी सद्भाव पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला ऐसा कृत्य, जिससे सार्वजनिक शांति भंग होती हो या भंग होने की आशंका हो.
बीएनएस की धारा 197(1)(c): किसी समुदाय के सदस्य को लेकर ऐसी बात कहना जिससे अलग-अलग समुदायों के आपसी सद्भाव पर विपरीत असर पड़ता हो या उनके बीच शत्रुता या घृणा या दुर्भावना की भावना पनपती हो या पनपने की आशंका हो) के तहत दर्ज की गई है.

क्या होगी सजा
यहां ध्यान देने वाली बात है कि बीएनएस यानी भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 में देशद्रोह का जिक्र है. इसमें देश की संप्रभुता, एकता, और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्य शामिल हैं. इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर न्यूनतम सात साल की सजा या आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. इतना ही नहीं, जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

अब क्या होगा आगे?
अब अगर विजय शाह के खिलाफ देशद्रोह का मामला साबित होता है तो फिर उनको बड़ा झटका लगेगा. अगर जांच में विजय शाह के बयान को देशद्रोह के दायरे में पाया गया, तो उन्हें जेल की सजा हो सकती है. इससे उनकी सियासत भी कमजोर हो सकती है. अभी तो ऐसा लग रहा है कि विवाद बढ़ने से उनकी कुर्सी भी छिन सकती है.

कोर्ट ने एक बार फिर फटकार लगाई है. कोर्ट ने इस मामले में एसआईटी गठित करने को मंजूरी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह का माफीनामा नामंजूर करते हुए मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश दिया है. इस एसआईटी में तीन आईपीएस अधिकारी होंगे, जिसमें एक महिला अधिकारी भी होंगी. अदालत ने कहा कानून अपना काम करता रहेगा.

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