SINDOOR PLANT INCREASED: बालाकोट हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के आतंकवादी हमले का जवाब ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से दिया. विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर सिंदूर का पौधा लगाया. इसके बाद से बाज़ार में सिंदूर के पौधों की मांग तेज़ी से बढ़ गई है. राजधानी भोपाल की नर्सरियों में तो सिंदूर के पौधे खत्म हो गए हैं. अब उनके लिए नए पौधे तैयार किए जा रहे हैं.
ऐसे तैयार होता है सिंदूर का पौधा
सिंदूर के पेड़ पर उगने वाले कांटेदार फूलों के भीतर से बीज निकलते हैं. एक पौधे को ठीक से तैयार होने में तीन से चार साल लगते हैं. पेड़ बनने के लगभग एक साल बाद फूल लगते हैं, जिसके बाद इसमें हर साल नवंबर-दिसंबर में फूल खिलते हैं. अप्रैल के महीने में इन फूलों के अंदर बीज बनते हैं. फूलों के सूख जाने के बाद उन्हें तोड़कर इकट्ठा कर लिया जाता है. यह एक धीमी प्रक्रिया है, लेकिन परिणाम स्थायी होते हैं.
सिंदूर एंटीबायोटिक की तरह काम करता है
सिंदूर का पेड़ 10 से 15 फीट ऊंचा होता है. इसकी चौड़ाई भी तीन से चार फीट से ज़्यादा नहीं होती. सिंदूर का पौधा एंटीबायोटिक के रूप में भी इस्तेमाल होता है. इस पेड़ के तने की छाल का उपयोग आयुर्वेद की रक्त शुद्धिकरण की दवाइयों में किया जाता है. चोट लगने पर इसके तने की छाल को घिसकर लेप की तरह लगाया जाता है. यह पौधा मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाता है, जिससे आसपास की ज़मीन भी बेहतर होती है.
पहले 2 भी बिकना मुश्किल था अब सैकड़ों की मांग
पटेल नगर स्थित एक नर्सरी के संचालक संकेत वर्मा ने बताया, पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के बाद सिंदूर अब सिर्फ़ आस्था और सुंदरता का प्रतीक नहीं रहा, बल्कि देशभक्ति से भी जुड़ गया है. जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग सिंदूर का पौधा अपने घरों में लगाना चाहते हैं. हालांकि, इसमें कई औषधीय गुण भी हैं. वर्मा ने कहा कि जहाँ दो महीने पहले दिन में दो पौधे भी नहीं बिकते थे, वहीं अब दिन में सैकड़ों पौधों की मांग है.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद सामने आई खासियत
आयुर्वेदाचार्य डॉ. राकेश पांडे ने कहा, सिंदूर सदियों से भारतीय परंपरा में सुहागिन महिलाओं के गौरव का प्रतीक रहा है. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद लोगों को इसकी खासियत के बारे में पता चला है. यह पौधा बंजर ज़मीन पर भी उग जाता है. इसे ज़्यादा पानी और खाद की ज़रूरत नहीं होती. इसके बीज, पत्ते, फल और छाल कई बीमारियों की दवा के रूप में इस्तेमाल होते हैं.
त्वचा संक्रमण के लिए असरदार दवा
इस बारे में जानकारी देते हुए डॉ. सोनम तिवारी ने बताया, सिंदूर के पौधे, पत्तियों और बीजों से कई बीमारियों का इलाज किया जाता है. यह ख़ासकर त्वचा संक्रमण के लिए असरदार है. कुष्ठ रोग, झाइयां, फुंसी, खुजली, दाद से पीड़ित मरीज़ों को इससे फायदा होता है. इसके तेल का इस्तेमाल पुराने घावों को साफ करने के लिए भी किया जाता है.
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सिंदूर इन बीमारियों को भी जड़ से मिटाता है
सिंदूर के बीज, पत्ते या छाल का इस्तेमाल कब्ज़, गैस, पेट के कीड़े, अल्सर, दस्त और पेट से जुड़ी अन्य बीमारियों के लिए भी किया जाता है. इसके साथ ही, इसके पत्तों और फूलों का रस या अर्क सर्दी, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों और गले के रोगों में भी लाभकारी है. इसकी छाल का उपयोग टाइफाइड और दिमागी बुखार के लिए किया जाता है. इसके पत्तों और फूलों के अर्क में दर्द निवारक गुण भी होते हैं.
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अस्वीकरण: यहाँ दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों, जैसे नर्सरी संचालकों, आयुर्वेदाचार्यों और डॉक्टरों के बयानों पर आधारित है. औषधीय उपयोग के लिए किसी भी पौधे का प्रयोग करने से पहले हमेशा योग्य चिकित्सक या विशेषज्ञ से सलाह लें.