– भेल दशहरा मैदान में जया किशोरी के संगीतमय भजनों पर झूम उठे श्रोता
भोपाल
राजधानी के भेल दशहरा मैदान पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा में मोटिवेशन स्पीकर और कथावाचक जया किशोरी ने भगवान की भक्ति पर प्रकाश डाला। कथा के तीसरे दिन उन्होंने ध्रुव चरित्र सहित अन्य प्रसंगों की व्याख्या की। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेहनत करने का मौका भगवान हर किसी को नहीं देता, लेकिन जब मौका देता है, तो उसका सदुपयोग करना चाहिए। सफलता मिलना उतना मुश्किल नहीं है, जितना मुश्किल सफल बने रहना है।
उन्होंने कहा कि हम भगवान से मांगते तो हैं, लेकिन भगवान ने हमें जो दिया है, उसके लिए कभी उनका धन्यवाद नहीं देते। दुनिया से उम्मीदें लगाने से कोई फायदा नहीं, क्योकि जब उम्मीदें पूरी नहीं होती तो दुख होता है। इसलिए लोगों से उम्मीद कम और भगवान से अधिक लगाओ और भगवान ने हमें जो दिया है उसके लिए धन्यवाद दो।
शिक्षा का महत्व बताया
धु्रव चरित्र की कथा सुनाते हुए बताया कि धु्रव वन को जा रहे थे, तभी रास्ते में उन्हें नारद जी मिले। इस पर धु्रव ने उनसे भगवान विष्णु का पता पूछा तो नारद जी ने कहा कि आप उनसे नहीं मिल सकते। इस पर ध्रुव ने कहा कि मैं उनसे नहीं मिल सकता पर वह तो मुझसे मिल सकते हैं। इस पर नारद जी ने उन्हें भक्ति का मार्ग बताया। धु्रव के बताए अनुसार ध्रुव तपस्या करने लगे और अन्य, जल तक त्याग दिया। इसके बाद नारद जी ने कहा कि सांसों को रोक लो तो उन्होंने बिना सोचे समझे सांसों को रोककर तपस्या करने लगे। इस पर भगवान स्वयं प्रकट होते हैं और उन्हें दर्शन देते हैं, तो धु्रव भगवान को गले से लगा लेते हैं। इसके बाद धु्रव सवाल करते हैं तो जवाब में भगवान उनके सिर पर हाथ रख देतें हैं। ऐसे में सरस्वती जी स्वयं उनके ह्दय में विराजमाना हो जाती हैं।
इस मौके पर शिक्षा का मतलब बताते हुए जया किशोरी ने कहा कि जया किशोरी ने उदाहरणों के माध्यम से शिक्षा का महत्व बताते हुए कहा कि शिक्षा वह नहीं जो आपको अहंकारी बनाए, बल्कि शिक्षा वह है, जो आपको सरल बनाए। उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसी हो जो दूसरों की मदद कर सके। माता-पिता को समझाइस देते हुए कहा कि बच्चों को ऐसी शिक्षा दो कि वह अपने पांव पर खड़े हो सकें, चाहे वह बेटा हो या फिर बेटी, सभी को बेहतर और रोजगार परक शिक्षा देना चाहिए और काबिल बनाना चाहिए। यह बात जया किशोरी ने जड़ भरत की कथा सुनाते हुए श्रद्धालुओं को बताई।
इसके बाद गया नाम के राजा की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि हिरण के शिकार के फेर में राजा ने एक ब्राह्मण पर वाण चला दिया। इस पर ब्राह्मण ने उन्हे श्राप दे दिया कि राजा होते हुए भी असुरों का काम किया, इसलिए उनका नाम गयासुर पड़ा और उनका 5 कोस का शरीर हो गया। गयासुर द्वारा मोक्ष प्राप्ति के लिए भगवान की तपस्या की इस पर भगवान उन्हें वरदान देते हैं कि जो भी आपका दर्शन कर लेगा वह सीधे बैकुंठधाम को जाएगा। कथा के दौरान परिवार की बात कहते हुए जया किशोरी ने कहा कि माता-पिता कहते हैं, जब हम बच्चों को नहीं सिखाएंगे तो कौन सिखाएगा। उन्होंने कहा कि इसकी चिंता आप मत करो, दुनिया सब सिखा देगी। उन्होंने कहा कि जो अपने साथ रह रहे हैं, उनके बारे में आपको सोच समझकर बोलना चाहिए।
दान का महत्व बताते हुए इसके तीन रूप बताए। इसमें तन की सेवा, मन की सेवा और धन की सेवा। उन्होंने मन की सेवा का वर्णन करते हुए कहा कि आपकी वाणी से यदि किसी के चेहरे पर मुस्कान आ जाए तो वही मन की सेवा है। दान की महत्ता बताते हुए कहा कि आपके पास यदि एक रुपए भी है और मन से दान कर रहे हैं तो उसका सबसे बड़ा महत्व है। इसके बाद जया किशोरी ने राजा अजामिल की कथा सुनाते हुए बताया कि वह बहुत ही अत्याचारी था, लेकिन अंत समय में जब उसे लेने यमराज पहुंचे तो वह जोर-जोर से अपने बेटे नारायण को पुकारने लगा। इस पर भगवान के पार्षद पहुंचे तो यम भाग गए और उसे मोक्ष मिला। इस दौरान जया किशोरी ने कहा कि योग्यता में वह ताकत नहीं, जो ताकत आपके द्वारा मन से की गई भक्ति में है। बच्चों को सीख देते हुए बताया कि माता-पिता डांटते हैं, फटकारते हैं, मारते हैं पर साथ भी वही देते हैं। माता पिता बच्चों को हमेशा विश्वास में ले, उन्हें बताएं कि गलती ना करो पर कभी धोखे से गलती हो गई तो हमारे पास आना हम बचा लेंगे।
आज की कथा में मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी, महापौर मालती राय, संघ के क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख अशोक पोरवाल, प्रदीप त्रिपाठी सचिव रेडक्रास, टीवी कलाकार सिया के राम की मदिराक्षी मुंडले, रविंद्र यति, गिरीश शर्मा, महेंद्र परमार, रामबाबू शर्मा, सुनील उपाध्याय, मेला समिति के अध्यक्ष सुनील यादव, संयोजक विकास वीरानी, महामंत्री हरीश कुमार राम, निशा सिंह, अंजली वीरानी, केश कुमार साह, सुनील वैष्णव, मोहम्मद जाहिद आदि मौजूद थे।