नजूल भूमि विधेयक पास होने के बाद लटका, प्रवर समिति के पास भेजा गया, अनुप्रिया पटेल ने कहा वापस ले सरकार

नई दिल्ली,

उत्तर प्रदेश में एक बार फिर सरकार और संगठन की कलह विधानमंडल में देखने को मिली. दरअसल, योगी सरकार ने विधानसभा में नजूल जमीन विधेयक पेश किया था, जिसे विधानसभा से पास भी करा लिया गया. लेकिन विधान परिषद में यह विधेयक फंस गया. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने विधान परिषद में इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की. उसके बाद विधान परिषद के सभी सदस्यों ने इसे प्रवर समिति को भेजने का फैसला ले लिया. अब विधानसभा से पास नजूल विधेयक पर दो महीने के बाद प्रवर समिति जब अपनी रिपोर्ट सौंपेगी तो उसके बाद ही इसपर कोई फैसला होगा.

सीएम ने भी दिखाई हरी झंडी
वहीं, सीएम के करीबी सूत्रों के मुताबिक विधानसभा में नजूल संपत्ति विधेयक पास होने के बाद विधान परिषद में इसे प्रवर समिति को भेजने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हरी झंडी दी है. दरअसल, विधानसभा में विधेयक पेश होने और पास होने के बाद कई विधायकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अलग से मुलाकात की थी और इस पर कई संशोधन सुझाए थे. माना जा रहा है कि चूंकि सीधे पास हुए विधायक को रोक नहीं जा सकता था इसलिए विधान परिषद में प्रवर समिति के जरिए फिलहाल 2 महीने के लिए इसे टाला गया है.

कई बीजेपी विधायकों ने भी जताई थी नाराजगी
दरअसल, नजूल विधेयक को लेकर कई बीजेपी विधायकों ने भी नाराजगी जताई थी. लेकिन सदन से इसे पास करा लिया गया था. अब विधान परिषद में इसे रोक दिया गया है. विधान परिषद के इस कदम के बाद कई भाजपा के विधायकों ने खुशी जताते हुए कहा कि पूरी तरीके से इस पर बातचीत के बाद ही कोई फैसला लिया जाना चाहिए.

इस बिल को लेकर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने अपने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि नजूल भूमि संबंधी विधेयक को विमर्श के लिए विधान परिषद की प्रवर समिति को आज भेज दिया गया है। व्यापक विमर्श के बिना लाए गए नजूल भूमि संबंधी विधेयक के बारे में मेरा स्पष्ट मानना है कि यह विधेयक न सिर्फ गैरजरूरी है, बल्कि आमजन मानस की भावनाओं के विपरीत भी है। अपना दल एस की मुखिया अनुप्रिया पटेल ने आगे लिखा कि उत्तर प्रदेश सरकार को इस विधेयक को तत्काल वापस लेना चाहिए और इस मामले में जिन अधिकारियों ने गुमराह किया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

कांग्रेस ने दी थी आंदोलन की चेतावनी
बता दें कि नजूल विधेयक को लेकर कांग्रेस ने आंदोलन की चेतावनी दी थी. कांग्रेस नेता और पूर्व एमएलसी दीपक सिंह ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार के भीतर भी इस विधेयक को लेकर गुस्सा है. यही वजह है कि विधान परिषद में जिस वक्त केशव मौर्य इस नजूल संपत्ति विधेयक को पेश कर रहे थे उसी वक्त बीजेपी के विधान परिषद सदस्य भूपेंद्र चौधरी ने इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग कर दी.

क्या होती है नजूल संपत्ति
बता दें कि नजूल की जमीन का मतलब ऐसे जमीनों से होता है जिसका कई सालों से कोई भी वारिस नहीं मिला. ऐसे में इन जमीनों पर राज्य सरकार का अधिकार हो जाता है. दरअसल, अंग्रेजी राज के समय उनके खिलाफ बगावत करने वालों रियासतों से लेकर लोगों तक की जमीनों पर ब्रिटिश राज कब्जा कर लेती थी. आजादी के बाद इन जमीनों पर जिन्होंने रिकॉर्ड के साथ दावा किया सरकार ने उनके जमीनों को वापस कर दिया. वहीं जिन जमीनों पर किसी ने दावा नहीं किया वहीं नजूल की जमीन बन गई, जिसका अधिकार राज्य सरकारों के पास था. यूपी सरकार का तर्क है कि वे नजूल जमीनों का इस्तेमाल अब विकास कार्यों के लिए करेंगे.

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