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ना 90 ना 70… वो 5 देश जहां हफ्ते में सिर्फ 4 दिन काम करते हैं लोग, भारत से कैसे अलग दुनिया का ट्रेंड?

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नई दिल्‍ली

एलएंडटी के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यम सुर्खियों में हैं। इसकी वजह उनका एक बयान है। इसने पूरे देश में बहस छेड़ दी है। सुब्रह्मण्यम ने हफ्ते में 90 घंटे काम की वकालत की है। उनका बयान वर्क-लाइफ बैलेंस के महत्व और कर्मचारियों के अधिकारों पर चर्चा का विषय बन गया है। सुब्रह्मण्यम ने यह सुझाव दिया था कि कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे काम करना चाहिए। रविवार को भी काम करने से नहीं हिचकना चाहिए। उनसे पहले इन्‍फोसिस के संस्‍थापक एनआर नारायणमूर्ति के हफ्ते में 70 घंटे काम वाला बयान भी काफी चर्चा में रहा था। काम के घंटों की इस बहस के बीच यहां हम आपको ऐसे 5 देशों के बारे में बता रहे हैं जहां कार्य सप्‍ताह चार दिनों का है। ये देश अपने नागरिकों को वर्क-लाइफ के बीच बेहतर संतुलन बनाने का मौका दे रहे हैं।

1. बेल्जियम
बेल्जियम यूरोप का पहला देश है जिसने 2022 में चार दिन के कार्य सप्ताह को कानूनी मान्यता दी। बेल्जियम के लोग अब अपने पांच दिन के काम के घंटे चार दिन में पूरे कर सकते हैं। बेल्जियम के प्रधानमंत्री एलेक्स डी क्रू ने नवंबर 2022 में कानून पास होने पर कहा था, ‘इसका उद्देश्य लोगों और कंपनियों को अपना काम का समय तय करने की अधिक स्वतंत्रता देना है।’ यानी अब लोग अपने काम के घंटे खुद तय कर सकते हैं।

2. संयुक्‍त अरब अमीरात
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में भी 1 जुलाई, 2023 से सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए चार दिन का कार्य सप्ताह चुनने का विकल्प उपलब्ध है। हालांकि, यह नियम यूएई के हर कर्मचारी पर लागू नहीं होता। लेकिन, लगभग 90% लोग सरकारी नौकरी करते हैं। इसलिए ज्‍यादातर लोगों को चार दिन काम करने का फायदा मिल रहा है।

3. आइसलैंड
आइसलैंड की आबादी सिर्फ 3.5 लाख से कुछ ज्‍यादा है। इसमें दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले ज्‍यादा लोग चार दिन के कार्य सप्ताह पर काम करते हैं। 2015 से 2019 के बीच आइसलैंड में दुनिया के सबसे बड़े और सबसे लंबे परीक्षणों में से एक चलाया। इसके बाद से वहां चार दिन के कार्य सप्ताह का चलन बढ़ गया है। 2022 के फोर्ब्स के एक आर्टिकल के अनुसार, लगभग 90% आइसलैंडिक कर्मचारियों ने अपने साप्ताहिक काम के घंटे कम कर दिए हैं।

4. लिथुआनिया
लिथुआनिया में चार दिन के कार्य सप्ताह का कोई कानून नहीं है। लेकिन, 2021 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत छोटे बच्चों वाले माता-पिता हफ्ते में सिर्फ 32 घंटे काम कर सकते हैं। देश में औसत कार्य सप्ताह 40 घंटे का होता है। इसका मतलब है कि लिथुआनिया में माता-पिता चार दिन के बराबर घंटे काम करते हैं, भले ही वे इसे पांच दिनों में बांट लें।

5. फ्रांस
फ्रांस में भी कानूनी तौर पर चार दिन का कार्य सप्ताह लागू नहीं है, लेकिन वहां कई कंपनियां इसे ऑफर करती हैं। इसकी एक वजह यह है कि फ्रांस ने साल 2000 में 35 घंटे के कार्य सप्ताह का कानून बनाया था और उसके बदलने की संभावना बहुत कम है। फ्रांस के श्रम मंत्रालय का कहना है कि देश में 10,000 कर्मचारी पहले से ही चार दिन के कार्य सप्ताह पर काम करते हैं। इस कानून की वजह से चार दिन के कार्य सप्ताह में बदलाव करना आसान हो जाता है। चार दिन, आठ घंटे काम करने से कुल 32 घंटे होते हैं, जो कि ज्‍यादार कर्मचारियों के काम के घंटों से थोड़ा ही कम है।

दुनिया का ट्रेंड भारत से अलग
इन देशों के उदाहरण से पता चलता है कि चार दिन के कार्य सप्ताह का चलन बढ़ रहा है। इससे कर्मचारियों को काम और जीवन के बीच बेहतर संतुलन बनाने में मदद मिलती है। हालांकि, हर देश की अपनी जरूरतें और चुनौतियां हैं, लेकिन चार दिन के कार्य सप्ताह के फायदों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भविष्य में और भी देश इस मॉडल को अपना सकते हैं। जहां दुनियाभर में तमाम जगहों पर चार दिन के कार्य सप्ताह की चर्चा जोरों पर है। वहीं, भारत में हफ्ते में 70 घंटे और 90 घंटे काम की वकालत बिलकुल अलग ही दिशा में है।

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