– कलियुग अवतार चैतन्य महाप्रभु का अवतरण दिवस उल्लास से मनाया
भोपाल
नवनिर्मित इस्कॉन कोलार में धूमधाम से फाग अौर गौर पूर्णिमा उत्सव मनाया गया। प्रभुपाद मार्ग स्थित 8 एकड़ की हरेकृष्ण लैंड पर विशाल डोम के नीचे हजारों भक्तों ने भगवान राधा गोविंद देवजी का पुष्पाभिषेक किया। पुष्पाभिषेक से पहले श्रीश्री गौर-निताई का अभिषेकम किया गया। पुष्पाभिषेक के लिए नासिक, मुंबई, पुणे, बेंगलोर एवं दक्षिण भारत के कई शहरों से विभिन्न प्रकार के 300 किलो फूल मंगवाए गए थे। इनसे भगवान को फूल बंगला सजाया गया। फूलों की पत्तियां तोड़ने के बाद भगवान को अर्पित किया गया और इन्हीं पुष्पांें से भक्तों ने जमकर होली खेली। सुबह साढ़े चार बजे मंगल आरती के साथ ही अखंड हरिनाम कीर्तन शुरू हुआ जो देर शाम तक चलता रहा।
इस्कॉन का दूसरा बड़ा पर्व
इस्कॉन मंदिर कोलार के अध्यक्ष श्री रसानंद दास प्रभु ने प्रवचन में बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने राधा रानी का भाव लेकर कलियुग में श्री चैतन्य महाप्रभु के रूप में अवतार लिया है। गौर पूर्णिमा के दिन श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु का अवतरण हुआ था। भगवान चैतन्य महाप्रभु भक्त के रूप में आए और ये लोगों को सिखाया कि कैसे भक्ति करना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस्कॉन के संस्थापकाचार्य एसी भक्ति वेदंात स्वामी प्रभुपाद ने पूरी दुनिया को बताया कि चैतन्य महाप्रभु कौन हैं। उन्हीं के कारण दुनियाभर के इस्कॉन मंदिरों में गौर पूर्णिमा महोत्सव उल्लास से मनाया जाता है।
100 तरह के द्रव्यों से अभिषेक, 1001 व्यंजनों का भोग
प्रवचन के बाद भगवान का विभिन्न फलों के रसों और पंचामृत से महाअभिषेकम किया गया। इसके लिए 100 तरह के द्रव्यों जिसमें फलों के जूस आदि गृहस्थ भक्ति अपने घर से लाए थे। इस अवसर पर भगवान राधा-गोविंद को 15़1 से ज्यादा प्रकारा के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा, जो मंदिर से जुड़े भक्त अपने घर से बनाकर लाए थे।। इसके बाद भगवान की महाआरती हुई। महाआरती के बाद महाप्रसाद एवं भंडारा प्रसाद वितरण किया गया। इसमें दो हजार से ज्यादा भक्तों ने महाप्रसाद पाया।
काेलार निवासी अंकित तिवारी ने कहा कि ये हमारा सौभाग्य है कि यहां कोलार में इस्कॉन मंदिर आ गया है। हमें अपनी कॉलोनी के पास ही रोज भगवान के दर्शन होंगे। यहां के भक्तों को देखकर वृंदावन की याद आ जाती है। बावड़ियाकलां निवासी अमित यादव कहते हैं कि पहले हमें इस्कॉन के कार्यक्रमों के लिए दूर जाना पड़ता था। अब दो किलोमीटर पर ही इस्कॉन कोलार आने से एक अलग ही माहौल बन गया है। इस बार यहां की होली देखकर बरसाने की याद आ गई।