10.7 C
London
Wednesday, October 15, 2025
Homeराष्ट्रीयसब मिले हुए हैं! जब दुखी सुप्रीम कोर्ट ने 'फ्री-फ्री' पर नेताओं...

सब मिले हुए हैं! जब दुखी सुप्रीम कोर्ट ने ‘फ्री-फ्री’ पर नेताओं को सुना दी उनकी पूरी असलियत

Published on

नई दिल्ली

चुनावों में वोटर्स को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों के मुफ्त वादों की बरसात पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पार्टियों को खूब सुना दिया। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कोई भी दल इसपर रोक लगाना नहीं चाहती है क्योंकि सभी ऐसा करना चाहती है। अदालत ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर लपेटा। पीठ ने कहा कि पिछले कई सालों से कोई भी इसपर इच्छाशक्ति नहीं दिखा रहा है। शीर्ष अदालत ने 2013 में अपने फैसले में कहा था कि मुफ्त वाले वादों से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों पर असर पड़ता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह गंभीर मुद्दा है। सरकार यह कहकर नहीं बच सकती है कि वह कुछ नहीं कर सकती है।

कोई दल इसपर चर्चा नहीं करना चाहता- कोर्ट
चीफ जस्टिस रमना, जस्टिस कृष्णा मुरारी, जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने कहा कि हम केवल इसे चुनावों के संदर्भ में नहीं देख रहे हैं बल्कि इसका देश की आर्थिक स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव को भी देख रहे हैं। इस सलाह पर कि संसद इस मुद्दे पर चर्चा कर ले, कोर्ट ने कहा, ‘क्या आपको लगता है संसद इसपर चर्चा भी करेगी? कौन राजनीतिक दल मुफ्त वाले वादों पर चर्चा करना चाहती है? कोई भी दल इसपर ऐसा नहीं करना चाहती है। सभी दल चाहते हैं कि मुफ्त के उपहार वाले वादों पर रोक लगे।’

कोर्ट में क्या हुआ
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुझाव देने को कहा था। सिब्बल इस मामले में किसी भी पक्षकार के वकील नहीं हैं। सिब्बल ने जब कहा कि मामले में संसद में चर्चा होनी चाहिए। तब चीफ जस्टिस ने कहा, ‘क्या आप समझते हैं कि संसद में इस पर बहस होगी? कौन इस मामले में चर्चा करेगा? कोई राजनीतिक पार्टी मुफ्त उपहार मामले का विरोध नहीं करेगा, क्योंकि सभी पार्टी मुफ्त उपहार बांटना चाहती हैं।’ मामले में वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी कि मुफ्त उपहार में पैसा पब्लिक का इस्तेमाल हो रहा है। पैसा कहां से आएगा, इस बारे में जवाबदेही तय होना चाहिए।

‘चुनाव आयोग ने तो हाथ खड़े कर दिए’
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोकलुभावन मुफ्त उपहार बांटने का वादा या बांटा जाना वोटरों को प्रभावित करता है। अगर इसे रेग्युलेट नहीं किया गया तो इससे देश की आर्थिक स्थिति बदतर हो सकती है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि चुनाव आयोग ने तो हाथ खड़े कर दिए हैं। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस मामले में दोबारा चुनाव आयोग को विचार के लिए कहा जा सकता है। तब चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गाइडलाइंस बनाने को कहा था।

याचिकाकर्ता की दलील जान लीजिए
चीफ जस्टिस एन.वी. रमण की अगुआई वाली बेंच ने संकेत दिया कि वह मन बना रही है कि इस मामले में एक्सपर्ट बॉडी बने। इसमें नीति आयोग, वित्त आयोग, लॉ कमीशन, आरबीआई, सत्ताधारी पार्टी के सदस्य और विरोधी दल के सदस्य शामिल हों। यह कमिटी मुफ्त उपहार के मामले में सुझाव पेश करे। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी दाखिल कर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को प्रतिवादी बनाया है। अर्जी में कहा गया है कि पब्लिक फंड से चुनाव से पहले वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार देने का वादा करने या मुफ्त उपहार बांटना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के खिलाफ है। यह वोटरों को प्रभावित करने और लुभाने का प्रयास है। इससे चुनाव प्रक्रिया खराब होती है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इससे चुनाव मैदान में एक समान अवसर के सिद्धांत प्रभावित होते हैं। याची ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों की ओर से मुफ्त उपहार देने और वादा करना एक तरह की रिश्वत है। चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह सुनिश्चित करे कि राजनीतिक पार्टियां इस तरह के वादे न करे।

कतरफा रोक भी सही नहींः सिब्बल
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि मिड डे मील, गरीबों को राशन और फ्री बिजली जैसी सुविधाएं वेलफेयर का काम है। इस तरह इस मामले में एकतरफा रोक भी नहीं हो सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम बिना तमाम हित धारकों के सुझाव के आदेश नहीं करेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम गाइडलाइंस जारी नहीं करने जा रहे हैं, बल्कि मामले में हितधारकों के सुझाव जरूरी है। आखिर में चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को मामले में फैसला लेना होगा। रिपोर्ट उन्हीं को दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और चुनाव आयोग यह नहीं कह सकते हैं कि वह कुछ नहीं कर सकते।

 

Latest articles

राज्यमंत्री श्रीमती कृष्णा गौर ने विभागीय एवं विकास कार्यों की समीक्षा कीदेश के सर्वश्रेष्ठ कोचिंग संस्थान देंगे पिछड़ा वर्ग के छात्रों को कोचिंगपिछड़ा वर्ग...

पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण तथा विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्धघुमंतु कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)...

आगा क्लब के सदस्यों को स्मृति चिन्ह वितरण किए गए।

आगा क्लब बीएचईएल भोपाल ने अपने नियमित सतत् रूप से जुड़े समस्त सदस्यों को...

More like this

आगा क्लब के सदस्यों को स्मृति चिन्ह वितरण किए गए।

आगा क्लब बीएचईएल भोपाल ने अपने नियमित सतत् रूप से जुड़े समस्त सदस्यों को...

जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर भीषण बस हादसा: आग लगने से 20 यात्रियों की दर्दनाक मौत, 15 झुलसे

जैसलमेर (राजस्थान)। राजस्थान के जैसलमेर जिले में मंगलवार दोपहर बड़ा हादसा हो गया। जैसलमेर-जोधपुर...