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यूक्रेन के जैपसोरिजिया न्यूक्लियर प्लांट के करीब रहने वाले लोगों को अथॉरिटीज की तरफ से आयोडीन की गोलियां दी जा रही हैं। ये गोलियां उन्हें संभावित रेडिएशन लीक से बचने के लिए दी गई हैं। ब्रिटिश अखबार द सन की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है। दो दिन पहले इस प्लांट का बंद कर दिया गया था और अब लोगों को आयोडीन की गोलियां दिए जाने की खबरें आ रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि ट्रांसमिशन लाइन में लगी आग की वजह से हो सकता है इसे खासा नुकसान पहुंचा हो। इसी घटना के चलते इस प्लांट को बंद कर दिया गया था।
कैसे मददगार है आयोडीन
आयोडीन वह तत्व है जो थायरायड ग्रंथि से निकले आयोडीन के अवशोषण को ब्लॉक करने में मदद करती हैं, उसकी गोलियां जैपसोरिजिया शहर में लोगों को बांटी गई हैं। यह जगह प्लांट से करीब 45 किलोमीटर दूर है। प्लांट के करीब हो रही लड़ाई के ने संभावित परमाणु तबाही की चिंताओं को दोगुना कर दिया है। इस इलाके में लगातार गोलीबारी हो रही है।
सैटेलाइट से मिलीं तस्वीरों से यह बात साबित हो जाती है कि पिछले काफी दिनों से कॉम्प्लेक्स के करीब भयंकर आग लगी हुई है। गुरुवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदीमोर जेलेंस्की की चेतावनी ने भी डर को बढ़ा दिया है। जेलेंस्की ने कहा, ‘रूस ने यूक्रेन और पूरे यूरोप को उस स्थिति में डाल दिया है जो रेडिएशन की तबाही से बस एक कदम दूर है।’
रूस की सेनाओं का कब्जा
रूस कर सेनाओं ने मार्च में दक्षिणी यूक्रेन में स्थित इस प्लांट पर कब्जा कर लिया था और तब से प्लांट उसके ह कब्जे में है। हालांकि इसका संचालन अभी तक यूक्रेन के टेक्निशियंस के हाथ में है। दोनों देशों की तरफ से एक-दूसरे पर इस प्लांट पर फायरिंग करने का आरोप लगाया गया है। यूनाइटेड नेशंस (UN) की परमाणु एजेंसी इस प्लांट तक पहुंचने की कोशिशों में लगी हुई है ताकि वह इस जगह को सुरक्षित कर सके। इसके अधिकारी लगातार कह रहे हैं कि प्लांट पर उनके दौरे के लिए तैयारियां जारी हैं। अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि यह दौरा कब तक हो पाएगा। परमाणु विशेषज्ञों की तरफ से इस बात के लिए आगाह किया जा चुका है कि जैपसोरिजिया के रिएक्टर्स के नुकसान होने का खतरा काफी बढ़ चुका है।
तो हो सकती है बड़ी घटना
गुरुवार रात को हुए हादसे के बाद रूस और यूक्रेन दोनों ने ही एक दूसरे पर ट्रांसमिशन लाइन को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि आखिर आग लगने की घटना कैसे हुई। लेकिन जेलेंस्की का कहना है कि प्लांट के इमरजेंसी बैकअप डीजल जनरेटर्स को बिजली की आपूर्ति के लिए एक्टिव करना पड़ा है। प्लांट के रिएक्टर्स कूलिंग सिस्टम को चलाने के लिए बिजली की जरूरत है और कूलिंग को अगर नुकसान हुआ तो फिर बड़ी तबाही आ सकती है। इस घटना के बाद साल 1986 में हुआ चर्नोबिल परमाणु हादसे की याद ताजा हो गई हैं।