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Tuesday, September 16, 2025
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संकट में गहलोत को याद आई तनोत माता, BSF को जमीन आवंटित करने के पीछे क्या हैं कोई सियासी कारण ?

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जैसलमेर

राजस्थान और केन्द्र सरकार के पर्यटन विभाग तथा सीमा सुरक्षा बल के सहयोग से भारत-पाक सीमा को टूरिस्ट्स डेस्टिनेशन से तौर पर डवलप किया जा रहा है। इस सपने को साकार करने के लिए अब राजस्थान सरकार ने बीएसएफ को निशुल्क भूमि आवंटित कर दी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से लिए गए इस फैसले के बाद सियासी गलियारों से लेकर जैसलमेर तक में एक चर्चा है।

बताया जाता है कि राजस्थान सरकार के मुखिया अशोक गहलोत की तनोट माता मंदिर में गहरी आस्था रखते है। सीएम गहलोत जब भी किसी काम की शुरुआत करते हैं या उनकी सरकार पर कोई संकट गहराता है तो वह तनोट माता के दर्शन को जरूर जाते हैं। साल 2020 में भी सियासी सकंट के दौरान भी गहलोत अपनी सियासत बचाने के लिए जैसलमेर आए थे।

सियासी संकट में माता तनोट की शरण में गए थे CM गहलोत
इस दौरान जैसलमेर को उन्होंने अपनी शरणस्थली बनाया था। अपने समर्थक विधायकों और मंत्रियों के साथ गहलोत यहां पहुंचे थे। गहलोत ने इस दौरान तनोट माता के दर्शन कर प्रार्थना की थी और अपनी सरकार को बचाने में वो सफल हुए थे। वहीं बीते दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की गहलोत को जिम्मेदारी की जब भी वे माता तनोट के दरबार में आए थे। तब यह कयास जा रहे थे कि गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनना चाहते थे। वह राजस्थान के मुख्यमंत्री ही बना रहना चाहते थे, जिसे भी माता ने स्वीकार कर लिया।

इसी के साथ विधानसभा चुनाव हो या सीएम का सामान्य जैसलमेर दौरा। जब भी गहलोत जैसलमेर आते हैं तनोट माता के दर्शन को जरूर जाते हैं। गहलोत ने जब भी अपने ऊपर संकट गहराता देखा है वे जैसलमेर शहर से 120 किलोमीटर दूर भारत-पाक सीमा पर स्थित सैनिकों की देवी और थार की वैष्णो देवी के नाम से विख्यात तनोट माता के दरबार में हाजिर हो जाते है। उनकी आस्था के चलते माता ने भी उन्हें आज तक निराश नहीं करती। तनोट को सीएम गहलोत की संकटकालीन राजधानी भी माना जाता है। राजनीतिज्ञों का भी मानना है कि माता तनोट यहां हर बार उनके संकट हरती है। वही गहलोत ने भी अपनी इसी आस्था के चलते तनोट को पर्यटन से जोड़ने के लिए BSF को यह भूमि नि:शुल्क आवंटित की है।

2.9 बीघा भूमि जमीन में जगमगाएगा गौरवशाली इतिहास
ग्राम पंचायत तनोट में राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 102 के तहत 2. 9 बीघा भूमि निशुल्क आवंटन प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इसके तहत यहां तनोट माता मंदिर के अलावा किशनगढ़ किला और लोंगेवाला युद्ध स्मारक को भी डवलप किया जाएगा। मंदिर में दर्शन के साथ ही यहां बनने वाले इंटरप्रिटेशन सेंटर में पर्यटक सेना के अस्त्र-शस्त्र, स्थानीय कला व संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को जान सकेंगे।

इसके साथ ही बड़ी फोटो गैलरी भी यहां लगाई जाएगी, जिसमें सेना के शौर्य के साथ ही देश- विदेश की प्रमुख हस्तियों की झलक भी देखने को मिलेगी। यहां पर्यटकों के लिए प्रतिक्षालय, कैफेटेरिया और पार्किंग एरिया भी विकसित किया जाएगा।

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