ढाका
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना सोमवार को चार दिन के चीन दौरे पर जा रही हैं। शेख हसीना का ये चीन दौरा उनकी भारत यात्रा के दो सप्ताह बाद हो रहा है। हसीना की इस विजिट के दौरान बांग्लादेश और चीन के बीच कई अहम समझौते होने की उम्मीद है। इस यात्रा से पहले ढाका से आए बयान बांग्लादेश के चीन की तरफ झुकाव का संकेत भी माने जा रहे हैं। ऐसे में क्षेत्र की एक और अहम ताकत भारत की भी इस दौरे पर निगाह है। शेख हसीना की यह चीन की पांचवीं यात्रा है और लगातार चौथी बार पीएम पद संभालने के बाद उनका पहला दौरा है। भारत इस पर बारीकी से नजर रखेगा कि बांग्लादेश-चीन द्विपक्षीय संबंधों का उसके अपने रणनीतिक हितों पर क्या असर होगा।
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट कहती है कि पड़ोसी देशों के बीच द्विपक्षीय यात्राएं आम बात हैं लेकिन किसी भी नेता की चीन यात्रा अक्सर अटकलों और चिंताओं को जन्म देती है। शेख हसीना की यात्रा के साथ भी ऐसा ही है, खासतौर से भारत की इस दौरे के नतीजों में महत्वपूर्ण रुचि है। हसीने के चार दिवसीय दौरे के घटनाक्रम संभावित रूप से चीन और बांग्लादेश के साथ भारत के संबंधों को भी नया आकार दे सकते हैं। हसीना की बीजिंग विजिट के दौरान कम से कम 20 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। इनमें आर्थिक और बैंकिंग, व्यापार और निवेश, डिजिटल अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचे का विकास, आपदा प्रबंधन, बांग्लादेश-चीन मैत्री सेतु निर्माण, कृषि निर्यात और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
बांग्लादेश का चीन से संबंध बढ़ाने पर जोर
बांग्लादेश के विदेश मंत्री हसन महमूद ने कहा है कि चीन बांग्लादेश के बुनियादी ढांचे और आर्थिक विकास में एक प्रमुख भागीदार बनने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने उम्मीद जताई कि हसीना की यह यात्रा रणनीतिक संबंधों को बढ़ाएगी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा है कि चीन आपसी विश्वास को गहरा करने, बेल्ट एंड रोड सहयोग को बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने लिए बांग्लादेश के साथ काम कर रहा है। हसीने के दौरे पर दोनों देशों के बीच ऋण समझौते पर भी बातचीत हो सकती है। अटकलें हैं कि बांग्लादेश अपने घटते विदेशी भंडार को बढ़ाने के लिए नया कर्ज मांग सकता है लेकिन शर्तों और नियमों पर अभी सहमति नहीं बनी है।
तीस्ता नदी परियोजना के बारे में विदेश मंत्री महमूद ने आश्वासन दिया कि यदि चीन इस मुद्दे को उठाता है तो भारत की चिंताओं पर विचार किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने संयुक्त नदी प्रबंधन का प्रस्ताव रखा है और बांग्लादेश की टीम के साथ सहयोग करने के लिए एक तकनीकी टीम भेजने की योजना बनाई है। चीन ने भी भागीदारी का प्रस्ताव दिया है लेकिन चर्चा में भारत के साथ बांग्लादेश के साझा हितों पर विचार किया जाएगा। चीनी राजदूत याओ वेन ने भी कहा है कि बीजिंग इस मामले में बांग्लादेश के फैसले का सम्मान करेगा, इससे भारत की चिंताएं कम हो सकती हैं।
चीन की वैश्विक विकास पहल से नहीं जुड़ेगा बांग्लादेश
इस समय बांग्लादेश के चीन के ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव वैश्विक विकास पहल में शामिल होने की संभावना नहीं है। बांग्लादेश-चीन संबंधों के भविष्य की दिशा का आकलन प्रधानमंत्री हसीना की राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठकों के नतीजों और संयुक्त बयानों से होगा। चीन और बांग्लादेश दोनों ही ये जानते हैं कि भारत की प्रधानमंत्री हसीना की चीन यात्रा पर बारीकी से नजर है। चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने भारतीय राजनेताओं और मीडिया पर चीन की मंशा पर सवाल उठाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ चीन के बीआरआई सहयोग के ठोस लाभ स्वयं ही स्पष्ट हैं।
बांग्लादेश का भारत से बेहद करीबी रिश्ता रहा है। वहीं चीन से बांग्लादेश के रिश्ते शुरुआती दौर में बहुत अच्छे नहीं थे। चीन ने 1971 में बांग्लादेश के निर्माण का विरोध किया था और कई मौकों पर इसकी सदस्यता को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के वीटो का इस्तेमाल किया। चीन ने शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के बाद 31 अगस्त 1975 को बांग्लादेश को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी थी लेकिन हालिया सालों में दोनों देशों के रिश्ते बेहतर हो रहे हैं। राष्ट्रपति शी जिनपिंग की 2016 की ढाका यात्रा के बाद दोनों देशों ने अपने संबंधों को रणनीतिक सहयोग साझेदारी तक उन्नत किया।
विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री हसीना की भारत और चीन की लगातार यात्राएं दो एशियाई शक्तियों के बीच संबंधों को संतुलित करने का एक प्रयास है। इस सबके बीच एक बड़ा सवाल यह है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना चीन के किसी भी ऐसे प्रयास का विरोध करने में कितनी दृढ़ संकल्पित होंगी जो भारत के साथ बांग्लादेश के संबंधों को कमजोर कर सकता है।