ढाका,
अल-बद्र, जमात-ए-इस्लामी और दूसरे कट्टरपंथी संगठनों से जुड़े युद्ध अपराध के आरोपियों को मृत्यु दंड दिलाने वाली इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल-बांग्लादेश की चीफ प्रॉसिक्यूटर रहीं बैरिस्टर तूरीन अफरोज को भी 5 अगस्त की हिंसा में निशाना बनाया गया. शेख हसीना के बांग्लादेश से भागने के बाद ढाका में स्थिति बिगड़ने का फायदा उठाकर कट्टरपंथी तूरीन अफरोज के घर में घुस गए. उन्होंने उनके बाल काटे और पैरों पर पेंसिल से घाव दिए.
तूरीन अफरोज ने आजतक से बातचीत में उस दिन का अपना डरावना अनुभव साझा किया. बकौल अफरोज, कट्टरपंथियों ने उनसे पूछा कि तुम हिजाब क्यों नहीं पहनती? अपनी मां शेख हसीना के साथ भारत क्यों नहीं गई? तूरीन अफरोज ने कट्टरपंथियों से कहा- मैं मर जाऊंगी बांग्लादेश छोड़कर नहीं जाऊंगी. हालांकि, उन्होंने हिजाब पहनने को लेकर कट्टपंथियों से सहमति जताई, क्योंकि वह उन्हें आक्रोशित करना नहीं चाहती थी. तूरीन ने कहा कि अगर मैं उनसे सहमत नहीं होती तो वे कुछ कर सकते थे, मेरी हत्या कर देते.
बैरिस्टर तूरीन अफरोज के घर में घुस गए थे कई कट्टरपंथी
बता दें कि 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए तूरीन अफरोज ने कई रजाकरों (मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान का साथ देने वाले) के खिलाफ मुकदमे की देखरेख की थी. उन पर दो बार हमले हो चुके हैं. तूरीन ने आजतक से कहा कि वह डायबिटीज की मरीज हैं. उनकी 16 वर्षीय बेटी उनके साथ थी, जब कट्टरपंथी उनके घर में घुसे. उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत डरी हुई थी. अगर उन्होंने उसके साथ बलात्कार किया होता तो एक मां के तौर पर मैं क्या करती?’ उन्होंने बताया कि उनके घर में घुसे कट्टरपंथियों में ज्यादातर की उम्र 18 से 25 साल के बीच थी.
कंट्टरपंथियों ने तूरीन से पूछा- मोदी ने तुम्हें क्यों नहीं बुलाया
तूरीन ने कहा, ‘कट्टरपंथी मुझसे पूछ रहे थे कि तुम हसीना के साथ क्यों नहीं गई? मोदी ने तुम्हें क्यों नहीं बुलाया. मैंने उनसे कहा कि मेरी मां भी चली गई, मेरे पिता भी चले गए, मुझे नहीं बुलाया. मैं कहीं नहीं जाऊंगी, इसी देश में रहूंगी. कट्टरपंथियों ने कहा कि तुम सोशल मीडिया पर लाइव जाकर कहो कि अल-बद्र, जमात-ए-इस्लामी और दूसरे संगठनों से जुड़े जिन लोगों को तुमने युद्ध अपराध के मामले में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल से दोषी ठहरवाया, यह तुम्हारी भूल थी. तुमने हसीना के कहने पर उन लोगों को झूठे आरोपों में फंसाया था.’
कट्टरपंथियों ने तूरीन के बाल काटे, पेंसिल से पैरों में घाव दिए
बैरिस्टर अफरोज ने आजतक से बातचीत में कहा कि मैं बांग्लादेश छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी, यहीं रहूंगी. यह मेरा देश है. मैंने विदेश में पढ़ाई की, लेकिन फिर वापस बांग्लादेश आई. क्योंकि मैं यहां के लोगों के लिए काम करना चाहती थी. तूरीन अफरोज को 7 अगस्त तक घर से बाहर नहीं निकलने दिया गया. अफरोज अपने बाल भी दिखाए जिसे कट्टरपंथियों ने काट दिया था. उन्होंने अपने पैर पर चोटों के निशान भी दिखाए. कट्टरपंथियों ने उनके पैरों पर पेंसिल धंसाकर जख्म देने की कोशिश की थी, जिससे काले निशान पड़ गए थे.
इस बीच भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन ने पूरे बांग्लादेश में हत्याओं और हमलों में शामिल लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आह्वान किया है. भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन शेख हसीना पर मुकदमा चलाने समेत चार सूत्री मांगों को लेकर ‘प्रतिरोध सप्ताह’ कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. इस नए अभियान का ऐलान छात्र संगठनों द्वारा किया गया. इसके अलावा उन स्थानों की ओर भी रोड मार्च होगा जहां आंदोलन में छात्रों की मौत हुई है.