वर्तमान में हम समाज में जब भी कोई बुराई या अपराध होता हुआ देखते-सुनते हैं, तो हमारे मुंह से अचानक ही निकल जाता है कि घोर कलियुग चल रहा है। इसका अर्थ यह है कि हमें कहीं न कहीं इस बात का अंदाजा तो है कि कलियुग में हर तरफ बुराई का बोल-बाला रहेगा। कलियुग जैसे-जैसे अपनी चरम सीमा की तरफ बढ़ता जा रहा है, हमें समाज में और भी काफी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। जैसे, पहले की अपेक्षा अब उम्र बढ़ने के बाद भी लोगों में पहले जैसा ही गुस्सा ही रहता है। वहीं, अगर आप त्रेता या द्वापर युग से तुलना करें, तो आज कलियुग में लोगों की शारीरिक बनावट में भी काफी बदलाव देखने को मिलता है। विष्णु पुराण में लोगों की लंबाई, उम्र और बनावट से जुड़ीं कई भविष्यवाणियां की गई हैं। आइए, जानते हैं विष्णु पुराण की भविष्यवाणियां।
कलियुग के अंत तक इतनी रह जाएगी मनुष्य की आयु
त्रेतायुग और द्वापर युग की कहानियों में मनुष्य की औसत आयु 100 वर्ष हुआ करती थीं। महाभारत की कथा के अनुसार द्वापर युग में भीष्म पितामहा की आयु 150 वर्ष से भी ज्यादा थी। वहीं, श्रीकृष्ण की आयु लगभग 125 वर्ष थी। वहीं, वाल्मिकी रामायण के अनुसार प्रभु श्री राम ने अयोध्या पर 100 वर्षों से अधिक शासन किया था। अब ऐसे में जाहिर-सी बात है कि त्रेतायुग में भगवान राम की आयु 100 वर्षों से भी ज्यादा थी। विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार कलियुग के अंत में मनुष्य की औसत आयु 12 से 20 वर्ष तक ही रह जाएगी।
कलियुग के अंत तक इतनी रह जाएगी मनुष्य की लंबाई
कई पौराणिक कहानियों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि त्रेता युग और द्वापर युग में मनुष्य की लंबाई 7 फीट तक हुआ करती थी लेकिन जैसे-जैसे द्वापर युग का अंत हुआ और कलियुग का आगमन हुआ मनुष्य की लंबाई भी कम होने लगी। कलियुग में मनुष्य की औसत लंबाई साढ़े 5 फीट से लेकर 6 फीट तक हो गई है। विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार कलियुग जब अपनी चरम सीमा पर होगा, तो मनुष्य की लंबाई घटकर 4 इंच तक रह जाएगी।
मनुष्य की आंखे छोटी और कमजोर होती जाएंगी
त्रेतायुग सहित हर युग में प्राकृतिक रूप से मनुष्य की आंखें बहुत ही सुंदर हुआ करती थी। मनुष्य की आंखों की चमक में उसके मनोभावों को भी देखा जा सकता था लेकिन कलियुग में आंखें भी मनुष्य की तरह ही छलने लगी हैं। विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार कलियुग के अंत तक मनुष्य की आंखों की बनावट में भी कई बदलाव आएंगे। औसत रूप से मनुष्य की आंखें छोटी होती जाएंगी। वहीं, उम्र से पहले ही मनुष्य की आंखें कमजोर होने लगेंगी, बिल्कुल आस-पास खड़े मनुष्य भी एक-दूसरे को नहीं देख पाएंगे।
मनुष्य भंयकर त्वचा रोगों से घिरा रहेगा
त्रेतायुग और द्वापर युग में मनुष्य प्राकृतिक तरीकों से अपनी सुंदरता को बनाए रखता था। आयुर्वेद में उल्लेखित कई जड़ी-बूटियों का उपयोग करके स्त्रियां कई दशकों तक युवा नजर आती थीं। वहीं, पुरुषों की त्वचा पर भी एक विशेष प्रकार की चमक नजर आती थीं, लेकिन कलियुग में मनुष्य अपने चेहरे की प्राकृतिक चमक को खोता जा रहा है। विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार कलियुग के अंत तक मनुष्य कई प्रकार के त्वचा रोगों से घिर जाएगा और चेहरे पर नाम मात्र की चमक भी नहीं बचेगी।
मनुष्य की मांसपेशियां सिकुड़ती जाएगी
त्रेतायुग और द्वापर युग में मनुष्यों के बाहुबल की सराहना दूर-दूर तक फैलती थी। इन दोनों ही युगों में ऐसे योद्धा हुआ करते थे, जो बिना किसी अस्त्र के केवल अपने बाहुबल और मांसपेशियों के बल पर अपने शत्रुओं को मार देते थे लेकिन वर्तमान में लोगों की शारीरिक क्षमता कम होती जा रही है। अब लोग थोड़ी-सी मेहनत के बाद ही थककर चूर हो जाते हैं। विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार कलियुग में मनुष्य की मांसपेशियां सिकुड़ती जाएंगी जिसका प्रभाव मनुष्य की क्षमताओं पर पड़ेगा।