प्रयागराज,
दुनिया के सबसे बड़े समागम महाकुंभ की शुरुआत सोमवार से हो गई है. घना कोहरा, कड़ाके की ठंड और जमा देने वाला पानी, इसके बावजूद पहले दिन 1.5 करोड़ लोगों ने मोक्ष प्राप्त करने के लिए संगम में डुबकी लगाई. मान्यता है कि त्रिवेणी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं. आध्यात्मिकता, ज्योतिष, संस्कृति, धर्म, परंपरा और आधुनिक तकनीक… प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के साथ इन सबका भी संगम देखने को मिल रहा है.
12 साल बाद आयोजित हो रहे इस मेले में 45 दिनों तक करीब 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के आने की उम्मीद है, जिनमें लाखों विदेशी भी शामिल हैं. इसके अलावा, संतों का दावा है कि यह महाकुंभ 144 साल बाद बने विशेष संयोग में आयोजित हो रहा है जिसने इसे श्रद्धालुओं के लिए और भी ज्यादा शुभ बना दिया है. यही वजह है कि प्रयागराज के इस महाकुंभ में लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा है.
‘जय गंगा मैया’ के उद्घोष के साथ भक्तों ने किया स्नान
हिमालय पर तपस्या करने वाले राख से लिपटे साधु, देश-विदेश से आए धार्मिक लोग और सबसे बड़े धार्मिक समागम का साक्षी बनने के लिए उत्सुक श्रद्धालु… महाकुंभ सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. महाकुंभ में संतों के 13 अखाड़े शामिल हुए हैं. पौष पूर्णिमा के अवसर पर भोर के अंधेरे में शंखनाद और भजनों की ध्वनि के साथ मेला औपचारिक रूप से शुरू हुआ. विशाल संगम क्षेत्र में भव्य उत्साह साफ झलक रहा था. भक्त, ‘जय गंगा मैया’, ‘हर हर महादेव’ और ‘जय श्री राम’ के उद्घोष के साथ जल की ओर बढ़ रहे थे.
अमेरिका के माइकल बने ‘बाबा मोक्षपुरी’
अमेरिकी सेना के पूर्व सैनिक से संन्यासी बने माइकल जूना अखाड़े में शामिल हो गए हैं और अब उन्हें ‘बाबा मोक्षपुरी’ के नाम से जाना जाता है. परिवर्तन की अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं एक साधारण व्यक्ति था, जिसका एक परिवार और करियर था. लेकिन मुझे एहसास हुआ कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है, इसलिए मैंने मोक्ष की खोज शुरू की. प्रयागराज में यह मेरा पहला महाकुंभ है. यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा असाधारण है.’
ब्राजील के एक भक्त ने कहा, ‘मैं ब्राजील में योगाभ्यास करता हूं. मैं यहां ‘मोक्ष’ की खोज में आया हूं. यह बहुत खास है… 144 साल में एक बार. सनातन धर्म मेरे जीवन का मिशन है और इसने मेरे जीवन को बदल दिया. इसने दुनिया और मेरे परिवार को देखने के मेरे तरीके को बदल दिया. जय श्री राम’.
मेले की भीड़ में स्पेन की जूली भी शामिल थीं. उन्होंने कहा, ‘मैं इस पवित्र स्थान पर पवित्र नदी में डुबनी लगाने के इस अवसर के लिए आभारी महसूस कर रही हूं. मैं आनंद से भर गई हूं.’ महाकुंभ को लेकर अपने संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि महाकुंभ आस्था, भक्ति और संस्कृति के पवित्र संगम में अनगिनत लोगों को एक साथ लाता है. उन्होंने कहा, ‘महाकुंभ भारत की कालातीत आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है और आस्था और सद्भाव का उत्सव है.’
250 ‘खोए’ लोगों को प्रशासन ने ‘ढूंढ़ा’
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर की महिलाओं का एक समूह भजन और लोकगीत गाने में व्यस्त था और वहां मौजूद दक्षिण कोरिया के यूट्यूबर्स की एक टीम महाकुंभ के विभिन्न दृश्यों को कैद कर रही थी. जापान की एक टीम भी वहां मौजूद थी. प्रयागराज के विभिन्न घाटों पर भारत के विभिन्न राज्यों से आए दल भी देखे गए. हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के कैलाश नारायण शुक्ला ने श्रद्धालुओं के लिए किए गए प्रबंधों की सराहना करते हुए कहा, ‘तीर्थयात्रियों के लिए बहुत अच्छे प्रबंध किए गए थे और हमें पवित्र स्नान करने में कोई परेशानी नहीं हुई.’
भारी भीड़ के चलते, कई लोग अपने परिजनों से अलग हो गए. इस खबर ने कुंभ मेले में भाई-बहनों के बिछड़ने पर बनी हिंदी फिल्मों की यादें ताजा कर दीं. हालांकि, अब समय बदल गया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने भीड़-नियंत्रण के लिए कई पहलें की हैं, जिनमें ‘भूला-भटका’ शिविर, पुलिस सहायता केंद्र और विशेष रूप से निर्मित वॉच टावरों पर कर्मियों की तैनाती शामिल है. अधिकारियों ने बताया कि कुछ घंटों में ही 250 से अधिक लोग ‘खो गए’ लेकिन प्रशासन के प्रयासों की बदौलत उन्हें ‘ढूंढ़’ लिया गया.
‘दुनिया का सबसे बड़ा अस्थायी शहर है महाकुंभ नगर’
दिल्ली से आए तीर्थयात्री अजय गोयल करीब एक घंटे के लिए अपने परिजनों से अलग हो गए थे. उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, ‘अलग होने से ठीक पहले हमने मजाक में कहा था कि पुरानी बॉलीवुड फिल्मों में कुंभ मेले में ऐसा अक्सर होता है. सौभाग्य से हम उसी मेले में फिर से मिल गए.’ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर आंकड़ा साझा करते हुए एक पोस्ट में कहा, ‘प्रथम स्नान पर्व पर आज 1.50 करोड़ सनातन आस्थावानों ने अविरल-निर्मल त्रिवेणी में स्नान का पुण्य लाभ अर्जित किया.’
सीएम योगी ने कहा था कि ‘महाकुंभ नगर दुनिया का सबसे बड़ा अस्थायी शहर है, जहां किसी भी समय 50 लाख से 1 करोड़ श्रद्धालु आ सकते हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के अनुसार, ‘मेले के लिए 55 से अधिक पुलिस स्टेशन बनाए गए हैं और 45,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया जा रहा है. संगम क्षेत्र और फाफामऊ में 30 पांटून पुल भी तैयार किए गए हैं, ताकि लोगों को संगम के एक छोर से दूसरे छोर तक आने-जाने में सुविधा हो. प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार मंदर ने बताया कि स्नान के लिए क्षेत्रवार घाट बनाए गए हैं. पहला शाही स्नान, मंगलवार मकर संक्रांति को होगा, जब संगम में डुबकी लगाने वालों की संख्या और अधिक बढ़ने की उम्मीद है. आखिरी स्नान 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर होगा.
महाकुंभ मेले का ऐतिहासिक महत्व
मान्यतानुसार, महाकुंभ मेले का संबंध समुद्र मंथन से माना जाता है. कथा के अनुसार, एक बार ऋषि दुर्वासा के श्राप से इंद्र और अन्य देवता कमजोर पड़ गए थे. इसका लाभ उठाते हुए राक्षसों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया था और इस युद्ध में देवताओं की हार हुई थी. तब सभी देवता मिलकर सहायता के लिए भगवान विष्णु के पास गए और उन्हें सारी बात बताई. भगवान विष्णु ने राक्षसों के साथ मिलकर समुद्र मंथन कर के वहां से अमृत निकालने की सलाह दी.
जब समुद्र मंथन से अमृत का कलश निकला, तो भगवान इंद्र का पुत्र जयंत उसे लेकर आकाश में उड़ गया. यह सब देखकर राक्षस भी जयंत के पीछे अमृत कलश लेने के लिए भागे और बहुत प्रयास करने के बाद दैत्यों के हाथ में अमृत कलश आ गया. इसके बाद अमृत कलश पर अपना अधिकार जमाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच 12 दिनों तक युद्ध चला था. समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदें हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज और नासिक में गिरी थीं इसलिए इन्हीं चार स्थानों पर महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है.