H-1B वीजा पर ट्रंप की नीति से टूटे भारतीयों के सपने, जॉब ऑफर वापस ले रहीं कंपनियां… पढ़ें विवाद की पूरी कहानी

नई दिल्ली,

हजारों भारतीयों का एच-1बी वीजा हासिल करने का एक सपना होता है. यह सपने को साकार करने का एक टिकट है. अब डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाले अमेरिकी प्रशासन में कई भारतीयों का सपना टूट सकता है. ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जिसमें लोगों के जॉब ऑफर्स को रद्द कर दिए गए हैं, और ऑफर वापस ले लिए जा रहे हैं.

20 जनवरी को राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने से पहले ही, भारतीयों को यह देखने को मिल सकता है कि आगे क्या होने वाला है. जॉब ऑफर्स रद्द होने से लेकर अमेरिका में पढ़ाई को लेकर अनिश्चितता तक, H-1B वीजा बहस कई भारतीयों के जीवन को उलट-पुलट कर रही है, जो अमेरिका में जीवन जीने का सपना देखते हैं और जो पहले से ही वहां रह हैं.

H-1B वीजा प्रोग्राम अमेरिका में विदेशियों के लिए सबसे बड़ा अस्थायी वर्क वीजा है. यह एम्पलॉयर्स को “मेरिट और एबिलिटी” के आधार पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की इजाजत देता है. 2023 की एक प्यू रिसर्च रिपोर्ट से पता चलता है कि अमेरिका में इमीग्रेशन में 16 लाख की बढ़ोतरी हुई है, जो पिछले दो दशकों में सबसे बड़ी बढ़ोतरी है. इसके पीछे कई अमेरीकियों की नाराजगी हो सकती है. मसलन, इसके बाद स्थानीय लोगों के हिसाब से नीतियां बनाई जा रही हैं.

ट्रंप ने सख्त इमीग्रेशन पॉलिसी को लागू करने और अधिक अमेरिकियों को काम पर रखने का वादा किया है. इमीग्रेशन सिस्टम पर छिड़ी बहस भारतीयों के लिए मुश्किलें लेकर आया है, जो कि अमेरिकी में सबसे बड़े एच-1बी वीजा होल्डर्स हैं.

अमेरिका जाने की चाहत रखने वाले कई लोगों के सपने टूटे
एमबीए की डिग्री हासिल करने वाले आशीष चौहान अमेरिका जाकर पढ़ाई करना चाहते थे. उन्होंने बीबीसी से बातचीत में कहा, “ये मेरे दिमाग में बसा हुआ है”. आशीष के सपने की शुरुआत अमेरिकी यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद होगी, लेकिन ट्रंप समर्थकों द्वारा H-1B वीजा पर बहस तेज होने के साथ, उन्हें लगता है कि उनकी ये प्लानिंग विफल होंगी.

H-1B वीजा प्रोग्राम, स्किल्ड कामगारों को अमेरिका लाने के लिए डिजाइन किया गया था. ट्रंप समर्थकों के बीच यह बहस छिड़ी हुई है कि यह अमेरिकी कामगारों को कमतर आंकने वाला प्रोग्राम है. भारतीयों ने इस प्रोग्राम पर अपना दबदबा बनाया है, जो 72% H-1B वीजा हासिल करते हैं, जबकि चीनी नागरिकों के लिए यह 12% है.

अधिकांश वीजा धारक STEM क्षेत्रों में काम करते हैं, खासतौर से कंप्यूटर से संबंधित नौकरियों में, लेकिन भारतीय H-1B वीजा होल्डर्स को बढ़ती जांच और प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है. चिंताएं सिर्फ उन लोगों तक ही सीमित नहीं है, जो अभी अमेरिका जाने का सपना ही देख रहे हैं, बड़ी चिंता वहां रह रहे लोगों की है, जिनकी नौकरी जाने का खतरा है.

अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या में भारी उछाल आया है, जिसमें सिर्फ एक साल में 35% की बढ़ोतरी देखी गई. मौजूदा समय में, अमेरिकी विश्वविद्यालयों में भारत से 250,000 से अधिक छात्र हैं. हालांकि, अब अमेरिका में रोजगार को लेकर चिंता है.

ट्रंप के शपथग्रहण से पहले लोगों के जॉब ऑफर्स रद्द किए गए
वी पुव्वाडा (बदला हुआ नाम) ने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में बताया कि कैसे उन्हें जॉब ऑफर मिलने के एक महीने बाद ही उसे रद्द कर दिया गया. उन्होंने कहा कि इसका कारण “वीजा की बदलती गतिशीलता” थी. उन्होंने कहा, “मुझे दिसंबर 2024 में जॉब ऑफर की गई थी, और चूंकि मेरे पास ऑफर लेटर थे, तो इसलिए मैंने अपनी मौजूदा नौकरी से इस्तीफा दे दिया.”

पुव्वाडा ने यह भी सवाल उठाया है कि हालांकि उनके ऑफर लेटर में रोक के कारणों को स्पष्ट रूप से अमेरिका में नए प्रशासन के कारण नहीं बताया गया, लेकिन इसका कोई संबंध हो सकता है. लोग यह भी चर्चा कर रहे हैं कि भारतीयों को अमेरिका में प्रवेश न देने से उन्हें नौकरी मिलने से नहीं रोका जा सकता है.

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