परमाणु मिसाइलों से अमेरिका तक तबाही मचाने की ताकत, चीन ने अपनी पनडुब्बियों को कैसे बनाया महाविनाशक?

बीजिंग

चीन लगातार दूसरों की जमीन और दूसरों के समंदर पर कब्जा करने के लिए अपनी ताकत बढ़ा रहा है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने करीब 10 साल पहले चीन की सेना को दुनिया में सबसे ज्यादा ताकतवर बनाने का प्लान पेश किया था। और अब चीन की सेना कई मामलों में दुनिया की सभी सेनाओं से आगे निकल चुकी है। चीन की नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए उसकी पनडुब्बी प्रोजेक्ट आज कई देशों के लिए खतरा बन चुका है। आइये हम चीन के पनडुब्बी कार्यक्रम पर नजर डालते हैं। दक्षिण चीन सागर की गहराई में भी चीन की पनडुब्बी तैनात है, जिसका मकसद फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसे देशों को रोकना है। इसी तरह की एक पनडुब्बी है टाइप 094 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, जिसे अमेरिका ने भी चीन की “पहली विश्वसनीय समुद्र-आधारित परमाणु निवारक” करार दिया है।

बीजिंग फिलहाल छह परमाणु पनडुब्बियों का संचालन करता है जो JL-2 मिसाइलों को दागने में सक्षम हैं। कई रिपोर्ट्स में तो ये भी कहा गया है कि इन पनडुब्बियों से JL-3 मिसाइलों को भी फायर किया जा सकता है। जो चीनी तटों से अमेरिकी क्षेत्र पर हमला कर सकती हैं। अमेरिका और उसके सहयोगी देश भी इस विशालकाय पनडुब्बी पर करीब से नजर रखते हैं। इस चीनी पनडुब्बी को अकसर दक्षिण चीन सागर में गश्त करते देखा गया है।

चीन की टाइप 094 पनडुब्बी से कितना खतरा?
पिछले साल चीन की ये पनडुब्बी उस वक्त सुर्खियों में आई थी, जब इसे ताइवान स्ट्रेट में देखा गया था। इसने उस वक्त हर किसी को हैरान कर दिया था, क्योंकि इसे किसी भी रडार से पकड़ा नहीं जा सका था। हालांकि ये पनडुब्बी अपनी गुप्त क्षमता के लिए नहीं जाती है। अकसर इससे निकलने वाली शोर के लिए इसकी आलोचना भी होती रही है, क्योंकि शोर की वजह से इसका पता लगाना और ट्रैक करना आसान हो जाता है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसकी अगली पीढ़ी टाइप 096 पनडुब्बी, जिसमें रूसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, वो खाफी खामोश रहने वाली है।

टाइप 094 पनडुब्बी को जिन-क्लास के नाम से भी जाना जाता है। इसकी सबसे खतरनाक खासियत इसकी परमाणु बमों को ले जाने की क्षमता है। ये एक साथ में अपने पेट में कम से कम 60 परमाणु बमों को लेकर समंदर की अथाह गहराइयों में निकल सकती है। लिहाजा ये चीन की सबसे नई और सबसे बड़ी रणनीतिक पनडुब्बी है। अप्रैल 2023 में समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया था, कि जब यह पता चला कि चीन ने इनमें से कम से कम एक पनडुब्बी को, जिसमें अमेरिका तक मार करने की क्षमता है, उसे दक्षिण चीन सागर में देखा गया है, उसने पश्चिमी सैन्य विश्लेषकों को टेंशन में डाल दिया है।

कितना मुश्किल रहा चीन का परमाणु पनडुब्बी बनाने का सफर?
चीन की परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण किसी भी तरह से आसान नहीं रहा है। चीन के चेयरमैन माओ ज़ेडॉन्ग ने साल 1959 में परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण के लिए प्रोजेक्ट-09 की शुरूआत की थी। उन्होंने उस साल कहा था कि परमाणु पनडुब्बियों का डेवलपमेंट किया जाना चाहिए, भले ही इसमें दस हजार साल भी लग जाएं। लगातार कोशिशों के बाद आखिरकार साल 1981 में पहली बार चीन ने परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) टाइप 092 Xia-क्लास को लॉंच कर दिया। हालांकि इस पनडुब्बी को लेकर आलोचका ने धीमा और काफी शोर मचाने का आरोप लगाया था।

हालांकि बदलते वक्त के साथ चीन ने टेक्नोलॉजी को बदल कर रख दिया। टाइप 092 का पहला मॉडल 2000 के दशक की शुरुआत में पूरा हुआ और कुछ साल बाद इसे चीनी नौसेना में शामिल कर लिया गया। शुरुआत में यह पनडुब्बी 12 JL-2 SLBM मिसाइलों से लैस थी और हर एक मिसाइल में एक वारहेड लगाया गया था। इसकी रेंज 7,200 किमी थी, जिससे यह चीन के पास के पानी से गुआम, हवाई और अलास्का सहित अमेरिकी क्षेत्र पर हमला करने में सक्षम बन गया। पिछले साल अप्रैल में चीन ने अपनी परमाणु पनडुब्बी को उस वक्त JL-2 मिसाइल से लैस किया, जब अमेरिका के विदेश मंत्री बीजिंग के दौरे पर पहुंचे थे।

चीन के पास अमेरिका में हमला करने की ताकत
आलम ये है कि अब चीनी पनडुब्बियों में अमेरिका तक हमला करने की ताकत आ गई है। हालांकि, बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है, कि अमेरिका में लक्ष्यों पर हमला करने के लिए टाइप 094 पनडुब्बी को पूर्वी चीन सागर और प्रशांत महासागर में अच्छी तरह से नौकायन करना होगा। इसके अलावा खतरनाक चोक पॉइंट्स को नेविगेट करना होगा। लेकिन यहां पर अमेरिका के हाई टेक्नोलॉजी डिफेंस सिस्टम हैं, जो इसका आसानी से पता लगा सकते हैं।

चीन की पनडुब्बियों में अब अगली पीढ़ी की मिसाइलों को फिट किया जा रहा है। JL-3 मिसाइल, जिसकी अनुमानित सीमा 10,000 किमी से भी ज्यादा है, उसे भी पनडुब्बियों में लैस करने की रिपोर्ट है। 2023 की पेंटागन की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि चीन पहली बार अपने तटीय जल से संयुक्त राज्य अमेरिका को निशाना बनाने में सक्षम होगा। फिर भी, जर्नल के आकलन सहित कुछ आकलनों ने JL-3 की तैनाती पर संदेह जताया है और अनुमान लगाया है, कि इस एडवांस मिसाइल का उपयोग सिर्फ अगली पीढ़ी के टाइप 096 SSBN पनडुब्बी के साथ ही किया जा सकता है, जो अभी भी निर्माणाधीन हैं।

About bheldn

Check Also

उम्मीद है बूढ़े हो चुके दलाई लामा सही रास्ते पर लौटेंगे, पर बातचीत… चीन ने कौन सी शर्त रख दी

बीजिंग चीन को उम्मीद है कि दलाई लामा ‘सही रास्ते पर लौट सकते हैं।’ इसके …