इस्लामाबाद
पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर दो कश्मीरी अलगाववादी संगठनों पर भारत के लगाए गए प्रतिबंधों की निंदा की है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक दिन पहले कश्मीर के अलगाववादी हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाली जम्मू और कश्मीर आवामी एक्शन कमेटी (AAC) और मौलाना मोहम्मद अब्बास अंसारी की अध्यक्षता वाली जम्मू और कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन (JKIM) को अगले पांच वर्षों के लिए “गैरकानूनी संगठन” घोषित किया है।
भारत विरोधी संगठनों पर लग रहा प्रतिबंध
पिछले साल भी भारत ने कई अलगाववादी दलों को गैरकानूनी संगठन घोषित किया था। इसके बाद कश्मीर में प्रतिबंधित समूहों की संख्या 14 हो गई है। ये सभी प्रतिबंधित समूह जम्मू और कश्मीर की एकता-अखंडता को तोड़ने वाली गतिविधियों में शामिल हैं। इनमें से सभी का नेतृत्व ऐसे लोगों के हाथों में है, जो जम्मू और कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते और अलगाववादी गतिविधियों में संलिप्त हैं।
पाकिस्तान ने भारत के फैसले की निंदा की
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, “पाकिस्तान भारतीय अधिकारियों द्वारा एएएम और जेकेआईएम को पांच साल की अवधि के लिए ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित करने के फैसले की निंदा करता है।” बयान में आगे कहा गया है, “एएएम का नेतृत्व एक प्रमुख राजनीतिक और धार्मिक नेता मीरवाइज उमर फारूक कर रहे हैं। जेकेआईएम की स्थापना एक अन्य राजनीतिक और धार्मिक नेता मौलाना मोहम्मद अब्बास अंसारी ने की थी, जो 2022 में अपने निधन तक इसके प्रमुख रहे।”
भारत पर भड़का पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय
बयान में कहा गया है कि हालिया फैसले से गैरकानूनी घोषित कश्मीरी राजनीतिक दलों और संगठनों की कुल संख्या बढ़कर 16 हो गई है। विदेश कार्यालय ने कहा, “विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों पर प्रतिबंध लगाना जम्मू और कश्मीर में भारतीय अधिकारियों के कठोर रवैये का एक और उदाहरण है।” बयान में कहा गया है कि यह क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियों को दबाने और असहमति को दबाने की इच्छा को दर्शाता है। बयान में कहा गया है कि यह लोकतांत्रिक मानदंडों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून की घोर अवहेलना भी दर्शाता है।
पाकिस्तान ने सुरक्षा परिषद वाला राग अलापा
बयान के अंत में कहा गया, “भारत सरकार से कश्मीरी राजनीतिक दलों पर लगे प्रतिबंधों को हटाने, सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को ईमानदारी से लागू करने का आग्रह किया जाता है।”