ढाका:
बांग्लादेश में बीते आठ महीनों में घरेलू राजनीति से लेकर विदेश नीति तक एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। ये बदलाव बीते साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार गिरने और मोहम्मद यूनुस के सत्ता संभालने के बाद आया है। शेख हसीना का रुख भारत के लिए नरम था जबकि मौजूदा अंतरिम सरकार चीन की तरफ झुकी है। मोहम्मद यूनुस ने बीते महीने ही चीन का दौरा करते हुए कई अहम समझौते किए हैं। चीन भी बांग्लादेश के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करना चाहता है क्योंकि वह भारत की क्षेत्रीय ताकत को कम करना चाहता है। वहीं पाकिस्तान भी बांग्लादेश में दखल बढ़ा रहा है, जो भारत की सुरक्षा के लिए चिंता का सबब बन रहा है।
द डिप्लोमेट की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने बांग्लादेश को 2028 तक बिना शुल्क के सामान बेचने की सुविधा देने का वादा किया है। बांग्लादेश को चीन से 2.1 अरब डॉलर के निवेश, लोन और ग्रांट का भरोसा भी मिला है। इसके अलावा चीन रोहिंग्या शरणार्थियों की मदद करने और म्यांमार के साथ बातचीत करने में भी बांग्लादेश की मदद कर रहा है। हालिया महीनों में भारत में इलाज कराने वाले बांग्लादेशियों की संख्या में कमी देखी गई है। चीन उनका नया ठिकाना बन रहा है।
चीन से बांग्लादेश को मिल रहा भारी कर्ज
बांग्लादेश को साल 2026 में सबसे कम विकसित देश (LDC) का दर्जा मिल सकता है। इसके बाद भी चीन उसे कर्ज की सुविधा देता रहेगा। चीन ने बांग्लादेश में निवेश बढ़ाने के लिए मुक्त व्यापार समझौता और निवेश समझौते पर बातचीत शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। चीन ने मोंगला बंदरगाह के लिए 400 मिलियन डॉलर, चीन औद्योगिक आर्थिक क्षेत्र के लिए 350 मिलियन डॉलर और तकनीकी सहायता के लिए 150 मिलियन डॉलर बांग्लादेश को देने का फैसला लिया है।
मोहम्मद यूनुस ने चीन से नदियों और पानी के प्रबंधन के लिए 50 साल की योजना बनाने का भी अनुरोध किया है। इससे भारत के साथ तनाव बढ़ाए बिना लंबे समय तक सहयोग किया जा सकता है। इस रणनीति से बांग्लादेश चीन के साथ काम करते हुए भारत के साथ पानी के बंटवारे के मुद्दे को भी संभाल सकता है। पहले चीन को बांग्लादेश के लिए एक मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन माना जाता था लेकिन अब वह बांग्लादेश के सेवा क्षेत्र में भी प्रवेश कर रहा है।
इंडो-पैसिफिक पर लगी नजर
हालिया वर्षों में दुनियाभर की बड़ी ताकतें इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर ध्यान दे रही हैं। ऐसे में बांग्लादेश एक महत्वपूर्ण स्थान बनकर उभरा है। अंतरिम सरकार अपनी विदेश नीति में व्यापार और आर्थिक विकास पर जोर दे रही है लेकिन वह सुरक्षा से जुड़े बड़े सौदों से बच रही है। इससे बांग्लादेश को चीन और अमेरिका के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद मिल सकती है। भारत ने कई मौकों पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की कार्यशैली पर चिंता जताई है लेकिन अमेरिका ने ढाका के कदमों का विरोध नहीं किया है। इससे क्षेत्र में भारत का प्रभाव कम हो सकता है।