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बांग्‍लादेश-चीन ने लालमोनिरहाट पर लगाया दांव, भारत ने एक्टिवेट किया पाकिस्तान को दो टुकड़े कराने वाला एयरपोर्ट

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ढाका/बांग्लादेश:

पिछले साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश भारत के खिलाफ हो चुका है। बांग्लादेश हर वो काम कर रहा है जिससे भारत की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है। बांग्लादेश में दूसरे विश्वयुद्ध के सयम लालमोनिरहाट जिले में एक हवाई अड्डा बना था और ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश अब चीन की मदद से लालमोनिरहाट हवाई अड्डे को फिर से डेवलप कर रहा है। लालमोनिरहाट एयरपोर्ट भारत के चिकन नेक यानि सिलिगुड़ी कॉरिडोर के लिए खतरा है। पूर्वोत्तर भारत भूगोल के इतिहास से काफी संवेदनशील है। इसकी भौगोलिक सीमाएं नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और चीन से सटी हैं, जिससे यह पूरा क्षेत्र भारत के लिए एक सामरिक प्रवेशद्वार की तरह बन जाता है । ऐसे में अगर चीन, बांग्लादेश के लालमोनिरहाट एयरपोर्ट में पुराने एयरबेस को विकसित करने की योजना में शामिल हो, तो भारत का परेशान होना स्वाभाविक है और इसी को काउंटर करने के लिए भारत ने त्रिपुरा के कैलाशहर एयरबेस को दोबारा शुरू कर दिया है, जो 1971 के युद्ध में एक महत्वपूर्ण बेस बना था।

आपको बता दें कि लालमोनिरहाट, बांग्लादेश के उत्तर में स्थित एक जिला है, जो भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर से काफी करीब है। ये भारत से करीब 15 से 20 किलोमीटर ही दूर है। सिलिगुड़ी कॉरिडोर भारत को उसके पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है, जिसकी चौड़ाई सिर्फ 20-22 किलोमीटर के करीब है। यह कॉरिडोर अगर बाधित होता है तो भारत के 8 पूर्वोत्तर राज्य मुख्यभूमि से कट जाते हैं। चीन हमेशा से यही चाहता है और बांग्लादेश अब उसका साथ दे रहा है। जिसे देखते हुए भारत ने काउंटर स्ट्रैटजी बनाना शुरू कर दिया है। भारत के लिए चिंता की बात ये है कि अगर लालमोनिरहाट एयरबेस को लेकर चीन को लॉजिस्टिक और ऑपरेशन का अधिकार मिलता है तो वो वहां से वो भारत के पूर्वोत्तर सीमा की लगातार निगरानी, सिग्नल इंटेलिजेंस और साइबर जासूसी जैसी गतिविधियों को तेज कर सकता है।

लालमोनिरहाट के खिलाफ कैलाशहर एयरबेस फिर एक्टिव
त्रिपुरा के उत्तर में स्थित कैलाशहर हवाई अड्डे को लेकर रिपोर्ट है कि भारत ने इसे फिर से बनाना शुरू कर दिया है। यह हवाई अड्डा 1990 के दशक से निष्क्रिय पड़ा हुआ था । 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ जंग में इस एयरपोर्ट ने काफी अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय सेना ने इस एयरबेस का इस्तेमाल बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान सर्जिकल और रणनीतिक हवाई अभियानों के लिए किया था। 2023 में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) और त्रिपुरा सरकार ने मिलकर इसे फिर से शुरू करने की प्रक्रिया शुरू की। इसके रनवे को 1200 मीटर से 1700 मीटर तक बढ़ाने की योजना है जिससे ATR-72 जैसे एयरक्राफ्ट उतारना संभव हो सके। मिंट के मुताबिक 26 मई को AAI के पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक एम राजू कृष्ण ने एमबीबी एयरपोर्ट (अगरतला) के निदेशक के सी मीना के साथ कैलाशहर हवाई अड्डे का दौरा किया था और जमीनी स्थिति का जायजा लिया था। जिससे पिछले 30 सालों से शांत पड़ा ये एयरपोर्ट अब फिर से एक्टिवेट होने जा रहा है।

भारत को चारों तरफ से घेरने के लिए चीन लगातार ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ नीति पर काम करता रहा है। चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट, श्रीलंका के हम्बनटोटा पोर्ट, बांग्लादेश के चिट्टागोंग पोर्ट और म्यांमार के क्यौकप्यू पोर्ट को पहले ही अलग अलग मकसदों से इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। और अब अगर लालमोनिरहाट एयरबेस का ऑपरेशन भी अगर चीन के हाथों में आता है तो उसके स्ट्रिंग की एक और ‘मोती’ जुड़ जाएगा, जो भारत के लिए खतरनाक साबित होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्वोत्तर के हवाई अड्डों को ‘दोहरे इस्तेमाल’ के लिए बनाया जा रहा है। यानि यानी वे जरूरत पड़ने पर मिलिट्री उपयोग में भी आ सकें। कैलाशहर इसी रणनीति का हिस्सा है।

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