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Friday, June 20, 2025
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यूएन में चीन फिर कर रहा सदाबहार दोस्त की मदद, अब भारत के पास क्या है विकल्प

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नई दिल्ली:

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने अभी तक 2025 के ‘पहलगाम हमला’ में शामिल’द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) का नाम शामिल नहीं किया है। अधिकारी इसके लिए चीन की ओर से पाकिस्तान में छिपे बैठे पांच आतंकियों पर प्रतिबंध लगाने में अड़ंगा डाले जाने की ओर इशारा कर रहे हैं। ये आतंकी जैश और लश्कर जैसे संगठनों से जुड़े हैं और भारत में हुए आतंकी हमलों में शामिल रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इन आतंकियों के बारे में एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें बताया गया है कि ये लोग 26/11 के मुंबई हमले, 2019 के पुलवामा हमले, 2016 के पठानकोट हमले, 2001 के संसद हमले और IC 814 विमान अपहरण जैसी घटनाओं में शामिल थे।

यूएन में फिर पाकिस्तान की मदद कर रहा चीन
अब्दुल रऊफ असगर, जैश-ए-मोहम्मद का सदस्य है। भारत और अमेरिका ने मिलकर 27 जुलाई, 2022 को रऊफ पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, चीन ने इस पर रोक लगा दी। फिर 7 फरवरी, 2023 को चीन ने इस रोक को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया। आखिर में 10 मई, 2023 को चीन ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह से रोक दिया। रऊफ, जैश के सरगना मौलाना मसूद अजहर का भाई है। उसने पाकिस्तान में ट्रेनिंग कैंप लगाए और भारत में आतंकी हमलों की साजिश रची। रऊफ ने 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को काठमांडू से कंधार ले जाने में अहम भूमिका निभाई थी। वह 2001 के संसद हमले का भी मुख्य साजिशकर्ता था और 2016 के पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले का मास्टरमाइंड था। 2019 के पुलवामा हमले में भी उसका हाथ था। इसका सबूत एक साथी साजिशकर्ता के फोन से मिला था।

आतंकवाद पर कुकर्मों से बाज नहीं आ रहा ड्रैगन
साजिद मीर भी एक आतंकी है। भारत और अमेरिका ने 2022 में UNSC के सामने मीर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, चीन ने इस पर तकनीकी रोक लगा दी और फिर 2023 में इसे पूरी तरह से रोक दिया। NIA के अनुसार, मीर 26/11 के मुंबई हमले में शामिल था। NIA को उसके खिलाफ और भी सबूत मिले हैं, जब इस हमले के एक साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत लाया गया। दिलचस्प बात यह है कि मीर को मई 2022 में लाहौर में टेरर-फाइनेंसिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। तीन हफ्तों के अंदर ही उसे दोषी ठहरा दिया गया। मीर लाहौर का रहने वाला है। अमेरिका ने 30 अगस्त, 2012 को उसे ‘स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट’ (SDGT) घोषित किया था। FBI ने मीर को अपनी मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल किया है। स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट का मतलब है, एक ऐसा आतंकी जिस पर पूरी दुनिया में प्रतिबंध है।

मर चुके आतंकी, दूसरे नाम से जीवित होते हैं!
अब्दुल रहमान मक्की पर भी चीन ने 2022 में रोक लगाई थी। लेकिन 2023 में उसने यह रोक हटा ली, जिसके बाद मक्की को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया गया। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र को बताया है कि मक्की की मौत हो चुकी है। इससे सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि आतंकी मर जाते हैं, लेकिन वे अलग-अलग नामों से भारत के खिलाफ काम करते रहते हैं। मक्की, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के राजनीतिक मामलों का प्रमुख था और उसने LeT के विदेशी संबंधों के विभाग के प्रमुख के रूप में भी काम किया था। अमेरिका ने 2010 में उसे SDGT घोषित किया था। वह LeT के लिए पैसे जुटाने में शामिल था।

कई पाकिस्तानी आतंकी चीन के चलते महफूज
ताल्हा सईद, LeT के सरगना हाफिज सईद का बेटा है। भारत और अमेरिका ने ताल्हा सईद और शाहिद महमूद पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा था। शाहिद महमूद, LeT के एक संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) का डिप्टी चीफ है। चीन ने 2022 से इस प्रस्ताव को रोक रखा है। 50 साल का ताल्हा, LeT के लिए लोगों की भर्ती करने, पैसे इकट्ठा करने, भारत में हमले करने और अफगानिस्तान में भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाने की साजिश रचने में शामिल है।

शाहिद महमूद रहमतुल्लाह का जन्म 10 अप्रैल, 1980 को हुआ था। वह कराची का रहने वाला है। वह प्रतिबंधित संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) का डिप्टी चीफ है। FIF, LeT का एक संगठन है। शाहिद भारत में धार्मिक काम के नाम पर पैसे भेजकर अपने समर्थक बनाने की साजिश रच रहा है। वह भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल है। NIA को 2018 के टेरर फंडिंग मामले में उसकी तलाश है। इस पूरे मामले में चीन का रवैया हैरान करने वाला है।

आतंकवाद पर दोगरा रवैया अपनाता रहा है चीन
एक तरफ चीन आतंकवाद का विरोध करने की बात करता है, वहीं दूसरी तरफ वह आतंकियों को बचाने की कोशिश करता है। इससे भारत और चीन के रिश्तों में खटास आ सकती है। भारत को इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाना चाहिए और चीन पर दबाव बनाना चाहिए कि वह आतंकियों को बचाने की कोशिश न करे। यह भी जरूरी है कि भारत अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करे। हमें अपनी खुफिया एजेंसियों को और बेहतर बनाना होगा, ताकि वे आतंकियों की साजिशों को नाकाम कर सकें। हमें अपनी सीमाओं पर भी कड़ी निगरानी रखनी होगी, ताकि आतंकी भारत में घुसपैठ न कर सकें।

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