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Tuesday, July 1, 2025
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कुवैत ने एक झटके में खत्म कर दी 37000 से ज्यादा लोगों की नागरिकता, सबसे ज्यादा महिलाएं शामिल, जानें वजह

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कुवैत सिटी

खाड़ी देश कुवैत ने एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए रातों-रात 37,000 लोगों की नागरिकता छीन ली है। इनमें अधिकांश महिलाएं हैं, जिन्होंने शादी के जरिए नागरिकता हासिल की थी। कुछ तो 20 साल से ज्यादा समय से कुवैत में रह रही हैं। कई को तो इसकी जानकारी तब हुई, जब वे रूटीन काम के लिए पहुंची। 50 साल की लामा (बदला हुआ नाम) को इसका पता वीकली वर्कआउट क्लास के दौरान चला, जब उनके क्रेडिट कार्ड का पेमेंट रिजेक्ट हो गया। उन्हें चेक किया तो उनका बैंक खाता अस्थायी रूप से फ्रीज कर दिया था, क्योंकि उनकी राष्ट्रीयता रद्द कर कर दी गई थी।

जॉर्डन की मूल निवासी लामा ने एएफपी से बातचीत में कहा कि यह उनके लिए एक झटका था। उन्होंने अधिकारियों के डर से अपना असली नाम इस्तेमाल न करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, ’20 सालों से ज्यादा सालों तक कानून का पालन करने वाली नागरिक होने के बाद एक दिन सुबह आप जागते हैं और पाते हैं अब आप नागरिक नहीं हैं। यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है।’

शेख मिसाल की पहल के तहत उठाया गया कदम
कुवैत का ये कदम अमीर शेख मिशाल अल-अहमद अल-सबा के नेतृत्व वाले शासन के सुधारवादी पहल का हिस्सा है। इसका उद्येश्य राष्ट्रीयता को कवैती रक्त संबंधों तक सीमित रखना और कुवैती पहचान को नया आकार देना है। विश्लेषकों का कहना है कि नागरिकता नीति का उद्देश्य तेल समृद्ध देश की राष्ट्रीयता को रक्त संबंध तक सीमित करके संभावित रूप से इसके मतदाताओं को कम करना है। अमीर शेख मेशाल ने दिसम्बर 2023 में सत्ता संभालने के पांच महीने बाद संसद को भंग कर दिया और संविधान के कुछ हिस्सों को निलंबित कर दिया था।

26000 महिलाओं की छिनी नागरिकता
कुवैत में जिन 37,000 लोगों की नागरिकता रद्द कर दी गई है, उनमें कम से कम 26,000 महिलाएं हैं। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि वास्तविक संख्या इससे अधिक हो सकती है। कुवैत विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर बदल अल-सैफ ने कहा, जबकि कुवैत में बड़े पैमाने पर नागरिकता रद्द करना कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह संख्या निश्चित रूप से अभूतपूर्व है।

कुवैत में पहले ही लगभग 100,000 बिदून लोगों का राज्यविहीन समुदाय है। बिदून एक अरब अल्पसंख्यक हैं, जो बेडोइन नामक खानाबदोश जनजाति से आते हैं, जो कुवैत में बस गए थे। 1961 में जब कुवैत आजाद हुआ, बिदून लोगों को नागरिक के रूप में शामिल नहीं किया गया। नया उपाय विवाह के जरिए नागरिकता को समाप्त करता है।

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