स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड के वालिस इलाके में बुधवार को एक भयानक प्राकृतिक आपदा ने ब्लैटन गांव को अपनी चपेट में ले लिया था। बर्च ग्लेशियर के अचानक टूटने से चट्टानें, बर्फ और मलबा गांव पर गिर पड़ा, जिससे पूरा गांव तबाह हो गया। अच्छी बात यह रही कि इस हादसे में गांव के 300 लोगों को पहले ही सुरक्षित निकाल लिया गया था, क्योंकि वैज्ञानिकों ने आपदा की आशंका जता दी थी। यहां तक कि भेड़ों और गायों को भी हेलिकॉप्टर से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका था। अब एक तस्वीर सामने आई है जिसमें आप गांव का पहले का और अब का हाल देख सकते हैं। हम आपको आगे यह भी बताएंगे कि आखिर स्थिति यहां तक पहुंची कैसे!
लोगों को आई ‘परमाणु बम’ के बादल की याद
हादसे का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें ग्लेशियर के ढहने और धूल-मलबे के विशाल बादल को देखा जा सकता है। इसे देखकर कुछ लोगों को परमाणु बम के बादल की याद आ गई। लॉज़ेन यूनिवर्सिटी के ग्लेशियर विशेषज्ञ क्रिस्टोफ लैंबियल ने इसे “सबसे भयावह स्थिति” बताया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को छोटे-छोटे चट्टानों के गिरने की वजह से खतरे का अंदाजा था, लेकिन ग्लेशियर का पूरी तरह ढह जाना अप्रत्याशित था।
खतरा टला या अभी भी है बरकरार?
वालिस सरकार के बयान के मुताबिक, बर्च ग्लेशियर लगभग पूरी तरह ढह गया है। करीब एक मील लंबा और दर्जनों गज मोटा मलबा अब घाटी में फैला है। इस मलबे ने स्थानीय लोंजा नदी को रोक दिया है, जिससे एक झील बन रही है। अगर यह झील उफन गई, तो मलबे के साथ मिलकर यह तेज लावा प्रवाह का रूप ले सकती है, जो और नुकसान पहुंचा सकता है। पुलिस के अनुसार, इस हादसे में एक 64 साल के व्यक्ति लापता हैं। खतरनाक हालात के चलते उनकी तलाश को फिलहाल रोक दिया गया है।
आखिर क्यों टूटा ये ग्लेशियर?
लैंबियल ने बताया कि बर्च ग्लेशियर पिछले एक दशक से बढ़ रहा था, जबकि बाकी ग्लेशियर पीछे हट रहे हैं। इसका कारण जलवायु परिवर्तन है, जिसने पर्माफ्रॉस्ट (जमी हुई मिट्टी) को गर्म कर दिया। इससे चट्टानों की अस्थिरता बढ़ी और ग्लेशियर पर भारी मलबा जमा हुआ, जिसका वजन करीब 30 लाख घन मीटर था। स्विस पर्यावरण मंत्री अल्बर्ट रोस्टी ने कहा, ‘प्रकृति इंसान से ज्यादा ताकतवर है, और पहाड़ी लोग इसे अच्छी तरह समझते हैं। लेकिन यह हादसा वाकई असाधारण है।’ वहीं, ब्लैटन के मेयर मैथियास बेलवाल्ड ने कहा, ‘हमारा गांव मलबे में दब गया, लेकिन हमारी जिंदगियां बची हैं। हम एकजुट होकर फिर से उठ खड़े होंगे।’