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लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू मामले में पंजाब के 5 पुलिसकर्मियों का यूटर्न, लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने से इनकार

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चंडीगढ़

पंजाब पुलिस के पांच कांस्टेबल सिमरनजीत सिंह, हरप्रीत सिंह, बलविंदर सिंह, सतनाम सिंह और अमृतपाल सिंह ने पुलिस हिरासत में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के फिल्माए गए इंटरव्यू की जांच के संबंध में लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने से अपनी सहमति वापस ले ली है। उन्होंने दावा किया कि सहमति दबाव में ली गई थी। ये मामला गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के पुलिस हिरासत में इंटरव्यू रिकॉर्ड करने से जुड़ा है। पहले तो ये सब पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए राजी हो गए थे। मोहाली की एक अदालत ने इसकी इजाजत भी दे दी थी। लेकिन बाद में, उन्होंने एक अर्जी दाखिल की। इसमें उन्होंने कहा कि उनसे दबाव में सहमति ली गई थी।

आदेश पर रोक लगा दी
उनकी बातों को सुनने के बाद, मोहाली के एक जज ने टेस्ट की इजाजत देने वाले पहले के आदेश पर रोक लगा दी है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी। सरकार को नोटिस भेजा गया है और एसएचओ को पेश होने के लिए कहा गया है। निचली अदालत के रिकॉर्ड भी मांगे गए हैं। सिपाहियों के वकील सुल्तान सिंह संघा ने कहा कि सीनियर पुलिस अफसरों ने इन पांचों पर दबाव डाला था कि वे टेस्ट के लिए हां कहें। उनका कहना है कि एडीजीपी रैंक का एक सीनियर आईपीए अफसर अदालत में मौजूद था, जब सहमति दर्ज की गई थी। संघा ने यह भी कहा कि अफसरों को 5 अप्रैल को SIT के सामने पेश होने के लिए नोटिस मिला था, जिससे माहौल और भी दबाव वाला बन गया था।

अर्जी के साथ हलफनामे भी दिए
सिपाहियों ने अपनी अर्जी के साथ हलफनामे भी दिए हैं, जिसमें उन्होंने अपनी पहले की सहमति को औपचारिक रूप से वापस ले लिया है। यह मामला 19 अप्रैल, 2025 के एक आदेश से शुरू हुआ था। मोहाली की एक अदालत ने छह पुलिस वालों के पॉलीग्राफ टेस्ट की इजाजत दी थी। इनमें ASI मुख्तियार सिंह और ये पांच सिपाही शामिल थे। ये सभी CIA (क्राइम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) स्टाफ यूनिट, मोहाली में तैनात थे। इन पर आरोप है कि इन्होंने बिश्नोई के इंटरव्यू को बिना इजाजत के रिकॉर्ड किया था, जब वह हिरासत में था। पहले के आदेश में, JMIC ने कहा था कि पॉलीग्राफ जैसे साइंटिफिक टेस्ट के लिए अपनी मर्जी से सहमति देना जरूरी है। और अफसरों की सहमति ठीक से दर्ज की गई थी। ADGP नीलाभ किशोर भी वहां मौजूद थे। पॉलीग्राफ टेस्ट का इस्तेमाल IPC की धाराओं के तहत दर्ज मामलों में किया जाना था। ये धाराएं उगाही, सबूत मिटाने और आपराधिक साजिश से जुड़ी हैं। इसके अलावा, यह टेस्ट प्रिजन (पंजाब अमेंडमेंट एक्ट), 2011 के तहत भी इस्तेमाल किया जाना था।

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