लखनऊ,
उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्र एक बार फिर सड़कों पर हैं. लखनऊ के इको गार्डन में 27 मई से शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास शिक्षामित्र अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण धरने पर बैठे हैं. ये वही शिक्षामित्र हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश के लाखों बच्चों को शिक्षा की राह दिखाई. लेकिन आज, इन्हीं गुरुजनों को अपने हक के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है.
दरअसल, यूपी में करीब 50,000 शिक्षामित्र, जो TET/CTET पास हैं और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCTE) के मानकों के अनुसार पूरी तरह योग्य हैं, फिर भी लंबे समय से पक्की नौकरी का इंतजार कर रहे हैं. इन शिक्षामित्रों का कहना है कि उन्होंने 25 साल तक शिक्षा के क्षेत्र में मेहनत की, लेकिन उन्हें स्थायी नौकरी और सम्मानजनक पहचान नहीं मिली.
शिक्षामित्रों की मांगें
- धरने में शामिल शिक्षामित्रों की मांग है कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की तरह उत्तर प्रदेश में भी टेट उत्तीर्ण शिक्षामित्रों को स्थायी किया जाए.
- बिना TET शिक्षामित्रों को योग्यता पूरी करने का मौका देकर स्थायी नौकरी दी जाए.
- शिक्षामित्र 12 महीने का उचित मानदेय, चिकित्सकीय अवकाश, 14 आकस्मिक अवकाश (CL) और अन्य सुविधाओं की मांग कर रहे हैं.
- महिला शिक्षामित्रों ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए शासनादेश के अनुसार शेड्यूल जारी करने की भी मांग रखी है.
धरने में प्रदेश भर से हजारों महिला और पुरुष शिक्षामित्र शामिल हैं. कोई 40 साल से ऊपर है, तो कोई 50 के पार. कई अपने पूरे परिवार के साथ इको गार्डन में डटे हैं. ये शिक्षामित्र अपनी मेहनत, अनुभव और योग्यता का सम्मान चाहते हैं. वे कहते हैं कि सरकार उनकी पुकार कब सुनेगी? क्या उनकी यह तपस्या अनसुनी रह जाएगी? शिक्षामित्रों का यह आंदोलन शिक्षा के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है. अब सवाल यह है कि क्या सरकार इन शिक्षकों की मांगों पर ध्यान देगी और उन्हें उनका हक देगी?