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Thursday, July 31, 2025
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हिंदू ट्रस्ट में मुस्लिमों को मिलेगी एंट्री? क्या ‘वक्फ बाय यूजर’ की संपत्ति डिनोटिफाई होगी? SC के केंद्र से तीखे सवाल

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नई दिल्ली ,

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि क्या अब मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी? मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि ‘वक्फ बाय यूजर’ को किस आधार पर अमान्य ठहराया जा सकता है, जबकि ऐसे कई वक्फ संपत्तियों के पास रजिस्ट्री जैसे दस्तावेज़ नहीं होते. अदालत ने कहा कि फिलहाल वह कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं कर रही है, लेकिन मामले की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी.

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि ‘वक्फ बाय यूजर’ की व्यवस्था को समाप्त करना एक स्थापित व्यवस्था को पलटना होगा, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से तीन अहम सवाल पूछे.

  1. क्या वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई किया जा सकता है?
    सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ‘वक्फ बाय यूजर’ की संपत्तियों को लेकर तीखे सवाल किए. कोर्ट ने पूछा कि आप ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों को कैसे पंजीकृत करेंगे? उनके पास कौन से दस्तावेज़ होंगे? CJI ने स्पष्ट कहा कि अगर इन संपत्तियों को डिनोटिफाई किया गया, तो यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. हां, कुछ दुरुपयोग की संभावना है, लेकिन कई मामले वास्तविक भी हैं. सुनवाई के दौरान CJI ने सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से पूछा कि आप अब भी मेरे सवाल का जवाब नहीं दे रहे हैं, क्या ‘वक्फ बाय यूजर’ को मान्यता दी जाएगी या नहीं? SG मेहता ने जवाब दिया कि अगर संपत्ति रजिस्टर्ड है, तो वक्फ मानी जाएगी. इस पर CJI ने तीखा रुख अपनाते हुए कहा कि ये तो पहले से स्थापित व्यवस्था को पलटना होगा. उन्होंने आगे कहा कि मैंने प्रिवी काउंसिल से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के कई फैसले पढ़े हैं, जिनमें वक्फ बाय यूजर को मान्यता दी गई है. आप ये नहीं कह सकते कि सभी ऐसी संपत्तियां फर्जी हैं.
  2. कलेक्टर की जांच के दौरान वक्फ की मान्यता पर रोक उचित है?
    कोर्ट ने कहा कि अधिनियम में जो यह शर्त दी गई है कि कलेक्टर की जांच पूरी होने तक संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा, उसे प्रभाव में नहीं लाया जा सकता. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोई वक्फ की संपत्ति है- जैसे कोई दुकान या मंदिर तो इसका उपयोग बंद नहीं होगा. बस इसे वक्फ के लाभ नहीं मिलेंगे, जब तक निर्णय न हो जाए. CJI ने सवाल किया कि अगर उपयोग नहीं रुकेगा, तो फिर किराया कहां जाएगा? फिर इस तरह की धारा रखने का क्या मतलब?
  3. क्या वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल किया जा सकता है?
    कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद के सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए, सिवाय उन अधिकारियों के जो पद के अनुसार (ex-officio) सदस्य हैं?

सरकारी पक्ष का जवाब कल आएगा
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इन तीनों बिंदुओं पर दलील देने के लिए समय मांगा है, अब गुरुवार को सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट इन बिंदुओं पर अंतरिम आदेश जारी कर सकता है.

हिंदू ट्रस्ट में मुस्लिमों को मिलेगी एंट्री?
पीटीआई के मुताबिक कोर्ट में एसजी तुषार मेहता ने कहा कि मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग वक्फ अधिनियम द्वारा शासित नहीं होना चाहता. इसे लेकर CJI ने केंद्र से तीखे अंदाज़ में पूछा कि क्या आप यह कह रहे हैं कि अब मुसलमानों को भी हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड में शामिल किया जाएगा? ज़रा स्पष्ट रूप से कहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई सार्वजनिक ट्रस्ट 100 या 200 साल पहले वक्फ घोषित किया गया हो, तो उसे आज अचानक वक्फ बोर्ड द्वारा हथिया लेना उचित नहीं है, आप इतिहास को फिर से नहीं लिख सकते. इस पर एसजी तुषार मेहता ने जवाब दिया कि संसद की जेपीसी ने 38 बार बैठक की और 98.2 लाख ज्ञापन जांचे जाने के बाद ही यह कानून पारित किया गया.

क्या है ‘वक्फ बाय यूजर’?
यह वह परंपरा है जिसमें कोई संपत्ति लंबे समय तक इस्लामिक धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होने के कारण वक्फ मानी जाती है, भले ही उसके पास लिखित दस्तावेज़ या रजिस्ट्री न हो.

सीजेआई का सुझाव
मुख्य न्यायाधीश ने सुझाव दिया कि इन याचिकाओं की सुनवाई के लिए किसी एक हाईकोर्ट को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. उन्होंने दोनों पक्षों से यह भी कहा कि वे यह स्पष्ट करें कि वे सुप्रीम कोर्ट से वास्तव में किस बिंदु पर सुनवाई चाहते हैं. सीजेआई ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकता.

वक्फ एक्ट के विरोध में दी गई दलीलें
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम में उस प्रावधान को चुनौती दी जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार कैसे तय करेगी कि मैं मुसलमान हूं या नहीं, और वक्फ बना सकता हूं या नहीं? सिब्बल ने यह भी सवाल उठाया, “सरकार कैसे कह सकती है कि पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन करने वाला ही वक्फ बना सकता है?

  • सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने इस कानून के राष्ट्रीय प्रभाव का हवाला देते हुए दलील दी कि इस मामले को हाईकोर्ट नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट को ही सुनना चाहिए.
  • वक्फ एक्ट का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए एडवोकेट हज़ेफा अहमदी ने कहा कि ‘वक्फ बाय यूजर’ इस्लाम में एक स्थापित परंपरा है, जिसे कानून से नहीं हटाया जा सकता.

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