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भारत का माल ले ईरान पहुंची रूसी ट्रेन, चीन-पाकिस्तान की चालाकी का निकल गया ‘रास्ता’

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नई दिल्ली

चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएवटिव (BRI) के जवाब के तौर पर देखा जाना वाला इंटरनैशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) फंक्शनल हो गया है। रूस की ट्रेन से भारत के लिए माल की पहली खेप मंगलवार को ईरान तक पहुंच गई है। अब वहां से समुद्र के रास्ते भारत आ जाएगी। रूस ने भारत के लिए माल की यह खेप शनिवार को सैंट पीटर्सबर्ग से रवाना किया था जो कैस्पियन सागर में अस्तरखान के बंदरगाह से होते हुए ईरान में अंजली बंदरगाह पहुंची है। वहां से बांदर अब्बास पोर्ट के जरिए भारत के पश्चिमी छोर के बंदरगाह तक पहुंचेगी। अगर यूक्रेन के साथ युद्ध के कारण रूस के साथ व्यापार पर लागू पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों को देखें तो आईएनएसटीसी को इन प्रतिबंधों को धता बताते हुए आपसी व्यापार जारी रखने की दिशा में भारत, रूस और ईरान की बड़ी कामयाबी के तौर पर भी देखा जा सकता है।

Trulli

करीब आधा हो जाएगा माल ढुलाई का वक्त
रूस से भेजा गया यह माल भारत तक पहुंचने में 25 दिनों से भी कम वक्त लगेगा। पहले भारत-रूस के बीच माल के पहुंचने में 40 दिनों का वक्त लगता था। इंटरनैशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) की खासियत सिर्फ यह नहीं है कि इससे रूस और भारत के बीच व्यापार में वक्त बचता है, बल्कि मौजूदा भू-राजनैतिक चुनौतियों के बीच यह सबसे आसान विकल्प है। साथ ही, इस रूट से भारत और रूस के बीच व्यापार की लागत करीब 30% घट जाएगी।

समझें INSTC का रूट
नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा) की नींव 12 सितंबर 2000 को पड़ी जब भारत, रूस और ईरान ने सैंट पीटर्सबर्ग में एक समझौते पर दस्तखत किया। इसका मकसद सदस्य देशों के बीच परिवहन को सुगम बनाना है। यह कॉरिडोर हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के रास्ते कैस्पियन सागर को जोड़ता है। वहां से गलियारा आगे बढ़ते हुए सैंट पीटर्सबर्ग और रसियन फेडरेशन से गुजरते हुए यूरोप की उत्तरी हिस्से तक पहुंचता है।

INSTC प्रॉजेक्ट में 13 देश शामिल
पांच वर्ष बाद 2005 में अजरबैजान भी इस समझौते में शामिल हो गया। अब इसमें 13 देश- अजरबैजान, बेलारूस, बुल्गारिया, अर्मेनिया, भारत, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिजस्तान, ओमान, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्की और यूक्रेन – शामिल हैं। उत्तरी-पश्चिमी यूरोप के लिए रूसी फेडरेशन, काकेशस के लिए फारस की खाड़ी (पश्चिमी मार्ग), मध्य एशिया के लिए फारस की खाड़ी (पूर्वी मार्ग), कैस्पियन सागर के लिए ईरान फारस की खाड़ी (केंद्रीय मार्ग) मिलकर इस प्रॉजेक्ट को पूरा करते हैं।

रेल, रोड, बंदरगाह- तीनों रूट से होगा व्यापार
7,200 किमी लंबे इस ट्रांसपोर्ट नेटवर्क में समुद्र, सड़क और रेल मार्ग का निर्माण किया जा रहा है। यह भारत और रूस के बीच सबसे कम दूरी का रूट है। अब भारत और ईरान की चाहत है कि आईएनएसटीसी को ईरान के चाबहार पोर्ट से जोड़ दिया जाए जो भारत के लिए अफगानिस्तान और वहां से मध्य एशिया पहुंचने का मार्ग है। इस रूट से भारत और रूस के बीच हर वर्ष दो से तीन करोड़ टन माल ढोया जा सकता है। अभी इस रूट पर भारत से ईरान और अजरबैजान होते हुए रूस के साथ कारोबार होगा। यह रूट मुंबई, मॉस्को, तेहरान, बाकू, बांदर अब्बास, अस्त्राखन, आंजली आदि बड़े शहरों को आपस में जोड़ना है।

अस्गाबात एग्रीमेंट को भी मिलेगी मदद
आईएनएसटीसी, अस्गाबात एग्रीमेंट के तहत परिवहन तंत्र के विकास के लिए भी मददगार साबित होगा। भारत, ओमान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और कजाखस्तान ने अंतरराष्ट्रीय परिवन और पारगमन गलियारा तैयार करने के लिए अस्गबात एग्रीमेंट पर दस्तखत किया है। इसका मकसद मध्य एशिया और फारस की खाड़ी के बीच माल ढुलाई को आसान बनाना है।

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