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Friday, July 4, 2025
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ये घर वापसी नहीं, विचारधारा की वापसी है…’, कांग्रेस में शामिल होने के बाद बोले चौधरी बीरेंद्र सिंह

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नई दिल्ली,

लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को हरियाणा में बड़ा झटका लगा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह अपनी पत्नी प्रेमलता (पूर्व विधायक) के साथ मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो गए. बीरेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी मुख्यालय में रणदीप सुरजेवाला और पवन खेड़ा सहित पार्टी नेताओं और समर्थकों की उपस्थिति में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री रहे बीरेंद्र सिंह और उनकी पत्नी ने 8 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से इस्तीफा दे दिया था.

सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में उनका वापस आना ‘विचारधारा की वापसी’ है. उन्होंने कहा, ‘हम यहां हैं क्योंकि हम हरियाणा के लोगों के साथ मजबूती से खड़े हैं और उन्होंने भी हमारा समर्थन किया है. पिछले दस वर्षों में, आपने (भाजपा) किसी को अपना नहीं बनाया. ‘

कांग्रेस में शामिल होने के बाद बीरेंद्र सिंह ने कहा, ‘यह केवल घर वापसी ही नहीं है… यह विचारधारा की वापसी है. अगर लोकतंत्र बचाना है तो हर आदमा को उठना पड़ेगा.. पार्टी छोड़ने से पहले मैं सोनिया गांधी से मिलकर क्षमा याचना करके गया था.. फिर केंद्रीय मंत्री बना. मैं 10 साल बीजेपी में था लेकिन उनके खिलाफ यहां घटिया बातें नहीं करूंगा, ऐसी राजनीति बंद होनी चाहिए. मैंने हमेशा ऊपर वालों को नाराज करके राजनीति की है.. हमारे मेनिफेस्टो पर राहुल गांधी की मुहर है.’
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वहीं बीरेंद्र सिंह के बीजेपी में शामिल होने पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि आज बीरेंद्र सिंह की घर वापसी हुई हो जो मेरे बड़े भाई के समान हैं. मैं उनके लिए बहुत खुश हूं.

बीजेपी पर निशाना साधती रही थी पिता-पुत्र की जोड़ी
बीरेंद्र सिंह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली पहली सरकार में इस्पात मंत्री बने. उन्होंने ग्रामीण विकास, पंचायती राज और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री की भी जिम्मेदारी निभाई थी. बीरेंद्र सिंह काफी समय से बीजेपी से दूरी बनाए हुए थे और कई बार सार्वजनिक मंचों से बीजेपी पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना भी साधा था.अतीत में, पिता-पुत्र की जोड़ी ने अक्सर कई मुद्दों पर भाजपा के रुख की आलोचना की थी.

2020 में, उन्होंने अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों का पक्ष लिया था. दोनों नेताओं ने उन पहलवानों के प्रति एकजुटता व्यक्त की, जिन्होंने यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.

इस वजह से बीजेपी से थे नाराज
2019 के लोकसभा चुनावों में बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह ने दुष्यंत चौटाला को दो लाख से अधिक वोटों से हराया था और भाजपा ने राज्य में सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि, कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव में, जेजेपी प्रमुख ने उचाना कलां से बृजेंद्र की मां प्रेम लता को 40,000 से अधिक वोटों से हरा दिया. चुनावों के बाद, बीजेपी ने जेजेपी के साथ गठबंधन कर लिया. बीजेपी के इस जेजेपी के साथ गठबंधन करने के फैसले से बीरेंद्र सिंह काफी नाराज भी हुए थे.

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