नई दिल्ली।
एशिया कप फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ तिलक वर्मा की शानदार पारी ने पूरे क्रिकेट जगत में उत्साह की लहर दौड़ा दी है। तिलक ने 53 गेंदों में नाबाद 69 रन की बेहतरीन पारी खेलकर न केवल अपनी अद्भुत प्रतिभा का प्रदर्शन किया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि मेहनत, लगन और सही सहयोग से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।
सफलता के पीछे दो मजबूत स्तंभ
हर सफलता के पीछे कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनका योगदान अमूल्य होता है। तिलक वर्मा के जीवन में दो व्यक्तियों ने उनकी सफलता की नींव रखी —
नागराजु – पिता का अटूट समर्थन:
पेशे से लाइनमैन इलेक्ट्रिशियन नागराजु ने बेटे के क्रिकेट प्रेम को पहचाना और सीमित संसाधनों के बावजूद उसकी प्रतिभा को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तिलक के सपनों में विश्वास करना और हर कदम पर साथ देना उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी।
सलाम बायस – निस्वार्थ कोच:
तिलक के कोच सलाम बायस ने उन्हें बिना किसी शुल्क के प्रशिक्षण दिया और रोजाना 40 किलोमीटर की दूरी तय कर यह सुनिश्चित किया कि तिलक समय पर अकादमी पहुँचे। उनके इस समर्पण और निस्वार्थ भाव ने तिलक को आज एक सफल क्रिकेटर बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मेहनत और सहयोग का विजयी सूत्र
तिलक वर्मा की कहानी इस बात का प्रमाण है कि लगन, अनुशासन और सही मार्गदर्शन से हर सपना साकार किया जा सकता है। उनकी निरंतरता और दृढ़ निश्चय ने उन्हें क्रिकेट जगत में खास पहचान दिलाई है।
आज जब देश तिलक वर्मा की शानदार पारी का जश्न मना रहा है, तो हमें उनके पिता और कोच जैसे उन नायकों को भी सलाम करना चाहिए, जिन्होंने तिलक पर विश्वास किया और उनके सपनों को उड़ान दी

