भोपाल
बीएचईएल में जबसे प्रतिनिधि यूनियन के चुनाव हुये हैं तब से कर्मचारियों के काम नहीं हो पा रहे हैं लगता है प्रबंधन यूनियनों पर हावी है इसके चलते पांच में से तीन यूनियनों ने तो तमाम बैठकों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है । वैसे भी प्रजातांत्रिक तरीका यह है कि कर्मचारियों के हित में इन कमेटियों में जाकर तमाम प्रतिनिधि यूनियनों को उनकी परेशानियों को सामने रखना चाहिये । यह परिपाटी किसी के समझ में नहीं आ रही है कि आखिर यह तीन यूनियनें इन बैठकों में क्यों नहीं शामिल हो रही हैं।
इस मामले में यह कहा जा रहा है कि एक यूनियन के नेता अपना तबादला भोपाल कराने के लिये पूरा जोर लगा रहे हैं और प्रबंधन है कि उन्हें भोपाल की जगह बनारस भेजना चाहती है । इसलिये वह प्लांट कमेटी की बैठक में शामिल ही नहीं हुये । रही बात एक अन्य यूनियन की तो वह अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने के लिये प्रबंधन पर दबाव बना रहा है तो ऐसे में वह भी इन बैठकों से दूर हो गये हंै । एक और अन्य यूनियन जो भले ही प्रतिनिधि यूनियन नहीं बन पाई हो पर प्लांट कमेटी में जगह मिलने के कारण वह अपने स्वाभिमान बरकरार रखने के लिये कर्मचारियों के मुद्दों को भुला रही है ।
बाकी यूनियनें इन बैठकों में पहुंच तो रही हैं अपनी बात भी प्रबंधन के सामने दमदारी से रख रही हैं लेकिन इसके बाद भी प्रबंधन दिल्ली कॉरपारेट का हवाला देकर उन्हें चुप किये हुये है । इसलिये कुछ यूनियनें लंबे समय से दिल्ली कॉरपोरेट में मानव संसाधन विभाग के कार्यपालक निदेशक,डायरेक्टर और भेल के मुखिया के सामने गुहार लगा रहे हैं लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है । ज्वाइंट कमेटी में भी कर्मचारियों की समस्याएं हल हो पायेंगी या नहीं यह बड़ा सवाल खड़ा है इसके पीछे कारण साफ है कि इसमें टे्रड यूनियन के सेंट्रल लीडर ही शामिल होंगे । अब तो कर्मचारी भी इन नेताओं की सुनते-सुनते थक से गये हैं।