CANCER SURGERY: राजधानी के भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (BMHRC) में डॉक्टरों ने एक 58 वर्षीय कैंसर मरीज की जान एक जटिल सर्जरी करके बचाई. दरअसल, मरीज़ के पेट और शरीर में उसकी किडनी से 10 गुना बड़ा ट्यूमर था, लेकिन उसे इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं था. इतने बड़े ट्यूमर के बावजूद मरीज़ सामान्य ज़िंदगी जी रहा था. हालांकि, बीमारी का पता चलने के बाद अब डॉक्टरों ने उसके शरीर से ट्यूमर को हटा दिया है.
ऐसे पता चला मरीज को बीमारी का
दरअसल, बड़े ट्यूमर के कारण मरीज का पेट बाईं ओर से फूला हुआ था. कभी-कभी पेट में दर्द होता था, जो दवाई लेने से ठीक हो जाता था. जब एक महीने पहले उसे पेशाब के साथ खून आने लगा, तो उसने भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल के ओपीडी में डॉक्टरों से सलाह ली. जांच में ट्यूमर की पुष्टि हुई, लेकिन मरीज की उम्र और दिल का मरीज होने के कारण ऑपरेशन बहुत complicated था.
लेकिन बीमारी की गंभीरता को देखते हुए बीएमएचआरसी के कैंसर सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक ट्यूमर को हटा दिया. डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने अपने पूरे करियर में इतना बड़ा किडनी ट्यूमर कभी नहीं देखा. मरीज की हालत अब काफी सुधर गई है और बुधवार को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.
मरीज के दोबारा कैंसर होने की संभावना खत्म
बीएमएचआरसी के कैंसर सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सोनवीर गौतम ने बताया, आमतौर पर एक सामान्य किडनी का आकार 9×3 सेमी होता है, लेकिन ट्यूमर कैंसर के कारण किडनी 22×18 सेमी की हो गई थी. यह ट्यूमर महाधमनी (aorta) और अन्य नसों से चिपक गया था, जो हृदय से शरीर के अन्य हिस्सों तक रक्त ले जाती हैं.
जिसके कारण ऑपरेशन के दौरान नस फटने और अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा था. कैंसर पेट में मौजूद लिम्फ नोड्स (lymph nodes) में भी फैल गया था. इन लिम्फ नोड्स को भी हटा दिया गया, जिससे भविष्य में कैंसर के दोबारा होने की संभावना भी खत्म हो गई है.
दिल का मरीज होने के कारण सर्जरी में था जोखिम
एनेस्थिसियोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. सारिका कटियार ने बताया, अस्पताल में भर्ती होने के दौरान मरीज को दिल का दौरा पड़ा था, जिसका भी इलाज किया गया. इसके कारण मरीज खून पतला करने वाली दवाएं ले रहा था. ये दवाएं शरीर में खून के थक्के बनने से रोकती हैं. ऐसी स्थिति में, अगर अत्यधिक रक्तस्राव होता, तो स्थिति को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल हो सकता था, लेकिन हमारी टीम ने ऐसी किसी भी संभावना को टाल दिया.
यह भी पढ़िए: कैंटीन प्रबंधन समिति की बुधवार को होगी बैठक
मरीज ने धूम्रपान छोड़ने का लिया संकल्प
डॉ. गौतम ने बताया कि मरीज पिछले 15 सालों से बीड़ी पीता था और गुटखा भी चबाता था. तंबाकू और धूम्रपान किडनी कैंसर के प्रमुख कारण हैं. ऐसा लगता है कि मरीज को बीड़ी पीने से यह बीमारी हुई. आपको बता दें कि मरीज को बुधवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. लेकिन इससे पहले, मरीज ने अस्पताल में संकल्प लिया कि वह भविष्य में कभी भी बीड़ी या सिगरेट को हाथ नहीं लगाएगा. उसने यह भी कहा कि वह अन्य लोगों को भी धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रेरित करेगा.
यह भी पढ़िए: दादाजी धाम मंदिर में संत कबीर दास जी का जन्मोत्सव मनेगा
अस्वीकरण: यहाँ दी गई जानकारी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा प्रदान की गई है और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. चिकित्सा स्थितियों और उपचारों के बारे में सटीक जानकारी के लिए हमेशा योग्य चिकित्सा पेशेवरों से सलाह लें.