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Wednesday, July 9, 2025
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सौरभ शर्मा केस में बड़ा खुलासा, तत्कालीन हेल्थ मिनिस्टर की सिफारिश पर मिली थी नौकरी, उन्हीं की विधानसभा में हुई थी पहली पोस्टिंग

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ग्वालियर

मध्य प्रदेश के धनकुबेर सौरभ शर्मा को लेकर हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। शुक्रवार को एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने इस मामले में बड़ा खुलासा किया है। आरटीआई एक्टिविस्ट संकेत साहू ने किया एक लेटर जारी किया है। इस लेटर नें इस बात का खुलासा किया गया है कि 2016 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा के लेटर हैड पर सौरभ शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति के लिए अनुशंसा की गई थी। संकेत साहू ने इसे लेकर लोकायुक्त से शिकायत की।

पूर्व मंत्री के लेटर हेड में यह लिखा
आरटीआई एक्टिविस्ट साहू ने दावा किया है कि तत्कालीन मंत्री ने 12 अप्रैल, 2016 को यह लेटर लिखा था। इसमें लिखा है कि सौरभ शर्मा प़ुत्र स्व. राकेश कुमार शर्मा निवासी 47 विनय नगर सेक्टर-2 ग्वालियर के पिता का डॉ. राकेश शर्मा जो कि डीआरपी लाइन चिकित्सालय में पदस्थ थे। जिनका 20 नवंबर 2015 को सेवा के दौरान निधन हो गया। जिले में तृतीय श्रेणी के किसी भी पद पर या संगणक रिक्त पद पर योग्यता अनुसार अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।

नरोत्तम मिश्रा के क्षेत्र में हुई थी पहली नियुक्ति
इसके बाद सौरभ शर्मा की पहली नियुक्ति नरोत्तम मिश्रा के विधानसभा क्षेत्र में ही हुई थी। सौरभ शर्मा की नियुक्ति नरोत्तम मिश्रा के विधानसभा क्षेत्र दतिया के सिकंदरा और चिरौला चेक पोस्ट से हुई थी। यहां बड़ी मात्रा में अवैध वसूली के भी मामले सामने आ चुके हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट संकेत साहू ने बताया कि उनके द्वारा निकाली गई जानकारी में कई खुलासे हुए हैं।

जिसमें बताया गया है कि तत्कालीन सीएमएचओ द्वारा सौरभ शर्मा के पिता की मृत्यु के बाद जब फर्जी एफिडेविट के आधार पर स्वास्थ्य विभाग में नौकरी की बात सामने आई तो सीएमएचओ द्वारा लिखकर दिया गया कि अभी कोई पद ही खाली नहीं है। इसके बाद नरोत्तम मिश्रा के द्वारा अनुशंसा का पत्र परिवहन विभाग को भेजा गया था। बाद में सौरभ शर्मा की नियुक्ति की गई। नरोत्तम मिश्रा उस समय शिवराज सिंह चौहान की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे।

सामने आया था नियुक्ति पत्र
इससे पहले गुरुवार को सौरभ शर्मा का नियुक्ति पत्र सामने आया था। सौरभ शर्मा का नियुक्ति पत्र परिवहन आयुक्त शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने जारी किए थे। यह लेटर 29 अक्टूबर, 2016 को जारी किया था। लेटर में लिखा था कि दो वर्ष की अवधि के लिए अस्थाई तौर पर अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है।

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